कोरोना काल के कारोबार में साथ-साथ

साल भर हो लिया जी, साल से ज्यादा ही। कोरोना से मुकाबला करने वाले गद्दे आ लिये, कोरोना को हराने वाली अलमारी भी आ गयी। कोरोना को पटकने वाले टूथपेस्ट तो बहुत पहले आ लिये थे। कोरोना को लगभग हराने वाले साबुन भी आ लिये। कोरोना पर इतना चौतरफा वार हो लिया, फिर भी कोरोना निकल क्यूं न रहा है।
करीब 75 सालों से गरीबी हटाने की इतनी योजना आये चली जा रही हैं, तो क्या गरीबी चली गयी? योजनाएं अपनी जगह हैं, गरीबी अपनी जगह है। योजनाओं की भी जगह है और गरीबी की जगह है।
ऐसे ही कोरोना कारोबार में कोरोना की अपनी जगह है और कोरोनारोधी गद्दों की अपनी जगह है। सबकी जगह है। ऐसा थोड़े ही न है कि कोरोनारोधी टूथपेस्ट आये तो कोरोना निकल ले। सब रहेंगे, कोरोना भी और कोरोना विरोधी गद्दे भी।
मुंबई से एक सीरियल निर्माता का फोन आया, वह भाई बोला-आप इतना ऊलजलूल लिखते हैं। आप कोरोना पर एक सीरियल लिख दो।
मैंने निवेदन किया—भाई कोरोना, मौत और ग्राहक का कोई भरोसा ना है, ये पता नहीं, कब आ जायें और कब चले जायें।
मुंबई का सीरियल निर्माता बोला—पिछले साल भी आपने यही बात बोली थी। कोरोना जमा हुआ है, आप अगर कोरोना पर सीरियल न लिखेंगे, तो आप उखड़ जायेंगे। कोरोना ही बिक रहा है।
कोरोना के बगैर कारोबार न चल रहा है, न गद्दों का, न टूथपेस्ट का और न सीरियल का। कोरोना चलेगा, चलता ही रहेगा। कई विद्वानों की विद्वत्ता कोरोना पर टिकी है। परिचय के एक डाक्टर दिन-रात कई टीवी चैनलों पर कोरोना पर ज्ञान बांटने जाते हैं। एक दिन मैंने उनसे कहा कि अब तो कोरोना शायद जाने वाला है। डाक्टर साहब उदास हो गये। फिर मैंने बात संभाली क्या पता, रुक ही जाये। मतलब तीसरी लहर भी आ ही जाये। डाक्टरों समेत इतनी तरह के कोरोना एक्सपर्ट लोग टीवी चैनलों पर आ रहे हैं कि बहुत लोगों को कोरोना ने एक्सपर्ट रोजगार दे दिया है। डेंगू का एक एक्सपर्ट डाक्टर परेशान था, बता रहा था कि डेंगू मच्छर की तो बहुत बेइज्जती खऱाब हो गयी, कोई न पूछता। हर साल एक सीजन डेंगू का होता था। डेंगू के एक्सपर्ट को कोरोना के बारे में जानना समझना पड़ रहा है। हाय कोरोना क्या-क्या दिन दिखायेगा।
टीवी चैनल वाले कोरोना एक्सपर्ट बनाकर ले गये। डी डाइमर टेस्ट से लेकर ब्लट टेस्ट के बारे में सब्जी वाले साहब इतनी एक्सपर्टता से बोल रहे थे कि मैं चकरा गया। सब्जी वाले साहब ने बताया सब व्हाट्सएप की किरपा है। डाक्टर और सब्जी वाले एक ही भाव तुल रहे हैं।

आलोक पुराणिक

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