उत्तराखंड में सुगंधित फसलों की क्रांति: धामी कैबिनेट ने 91,000 किसानों के लिए महक नीति को दी हरी झंडी

देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने किसानों के आर्थिक उत्थान और राज्य की सुगंधित फसलों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में आयोजित कैबिनेट बैठक में कुल छह प्रस्तावों पर सहमति बनी, जिसमें सबसे प्रमुख ‘उत्तराखंड महक क्रांति नीति 2026-2036’ को मंजूरी दी गई। यह नीति राज्य में सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को भारी सब्सिडी प्रदान करेगी। इसके अलावा, जेल प्रशासन के पुनर्गठन, आवास निर्माण में अतिरिक्त खर्च को राज्य द्वारा वहन करने और दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन राशि दोगुनी करने जैसे फैसलों ने सामाजिक-आर्थिक विकास को नई गति प्रदान की है। ये निर्णय ‘सशक्त उत्तराखंड’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

महक क्रांति नीति: किसानों के लिए नई उम्मीद की किरण

उत्तराखंड सरकार ने लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए ‘महक क्रांति नीति 2026-2036’ को औपचारिक रूप प्रदान किया है। यह नीति राज्य में सौगंध (एरोमा) पौधों जैसे तिमरू, लेवेंडर और अन्य सुगंधित फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। केंद्र सरकार के सौगंध पौधा केंद्र द्वारा किए जा रहे अनुसंधान के आधार पर तैयार की गई यह नीति, हाल ही में तिमरू से बने परफ्यूम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना के बाद और मजबूत हुई है। नीति का मुख्य उद्देश्य सगंध फसलों के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाना, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में ‘उत्तराखंड ब्रांड’ की स्थापना करना और किसानों की आय को दोगुना करना है।

नीति के प्रथम चरण में 2026 से 2036 तक 22,750 हेक्टेयर भूमि पर सुगंधित फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें 91,000 किसानों को जोड़ा जाएगा। किसानों को एक हेक्टेयर तक की भूमि पर 80 प्रतिशत और इससे अधिक पर 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति राज्य की जैव विविधता को संरक्षित रखते हुए निर्यात-आधारित उद्योग को बढ़ावा देगी।

जेल प्रशासन में व्यापक सुधार: नए पदों का सृजन

कैबिनेट ने उत्तराखंड कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग के ढांचे में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी प्रदान की है। इस पुनर्गठन के तहत अधीनस्थ कारीगरों के लिए 24 पदों और सुधारात्मक विंग के लिए 3 पदों का सृजन किया जाएगा। इसमें महिला प्रधान बंदीरक्षक के 2 पद, महिला बंदीरक्षक के 22 पद, अपर महानिरीक्षक कारागार (सुधारात्मक विंग), रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर तथा वैयक्तिक सहायक के 1-1 पद शामिल हैं। इसके अलावा, जेलों में सफाईकर्मी, माली और नाई जैसी सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग का प्रावधान भी किया गया है।

यह सुधार कैदियों के पुनर्वास और जेल प्रणाली की दक्षता बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ये बदलाव आधुनिक सुधारात्मक दृष्टिकोण को अपनाने में सहायक होंगे, जिससे अपराधियों के समाज में पुनर्स्थापन को आसान बनाया जा सकेगा। कुल 27 पद स्थायी रूप से सृजित किए गए हैं, जो राज्य की न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करेंगे।

रुद्रपुर आवास योजना: अतिरिक्त व्यय पर राज्य का बोझ

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रुद्रपुर में निर्मित 1,872 ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) मकानों के निर्माण में अनुमानित धनराशि से अधिक खर्च होने पर कैबिनेट ने राहत प्रदान की है। निर्माण कार्य में कुल अतिरिक्त 27.85 करोड़ रुपये व्यय हुए, जिसे राज्य सरकार वहन करेगी। यह निर्णय गरीब परिवारों को सस्ते आवास उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अधिकारियों ने बताया कि निर्माण में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह अतिरिक्त खर्च आवश्यक था, और अब इन मकानों को लाभार्थियों को शीघ्र हस्तांतरित किया जाएगा। इससे रुद्रपुर क्षेत्र में शहरीकरण को गति मिलेगी और प्रवासी मजदूरों के लिए सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित होगा।

शिक्षा और समाज कल्याण में नई पहलें

कैबिनेट ने शिक्षा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) उत्तराखंड के तहत पीएम ई-विद्या कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए 8 नए पदों का सृजन मंजूर किया गया। यह कार्यक्रम एनसीईआरटी नई दिल्ली के साथ एमओयू के अंतर्गत 5 मुफ्त शैक्षिक टीवी चैनलों का प्रसारण कर रहा है, जिससे ग्रामीण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ होगी।

इसके साथ ही, ‘उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली 2012’ में बदलाव को मंजूरी दी गई, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए प्रावधान शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, दूरस्थ शिक्षा से डीएलएड पास उम्मीदवारों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से अवसर प्रदान किया जाएगा।

समाज कल्याण विभाग के तहत दिव्यांग युवक-युवती से विवाह करने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को 25,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है। यदि दोनों पक्ष दिव्यांग हैं, तो अतिरिक्त लाभ का प्रावधान है। यह कदम दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाने और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने वाला है।

धामी कैबिनेट के ये फैसले उत्तराखंड के समग्र विकास को दर्शाते हैं, जहां कृषि से लेकर शिक्षा और सामाजिक न्याय तक हर क्षेत्र को मजबूती मिली है। किसानों, दिव्यांगों और शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं के लिए ये योजनाएं न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करेंगी, बल्कि राज्य की छवि को वैश्विक पटल पर मजबूत भी करेंगी। सरकार की यह सक्रियता उम्मीद जगाती है कि ‘सशक्त उत्तराखंड’ का सपना जल्द साकार होगा।

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