’सर्वाइकल कैंसर को रोकने में कारगर है एचपीवी संक्रमण की नियमित जांच एवं टीकाकरण’

देहरादून। दुनिया भर की महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों का एक प्रमुख कारण है सर्वाइकल कैंसर इसीलिए पूरे विश्व में जनवरी सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। हर महिला को सर्वाइकल कैंसर का खतरा होता है जिसकी जागरूकता और रोकथाम की दिशा में पहला कदम ये है कि अगर जल्दी और पर्याप्त रूप से समय पर जांच और इलाज किया जाए तो यह इलाज सफल है। सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता की बात करें तो हर 10 में से केवल 2 महिलाएं ही इसके बारे में जानती हैं, जो की मृत्युदर को बढ़ा सकती है क्योंकि आमतौर पर महिलाएं डॉक्टर के पास तब  पोहुंचती  हैं जब कैंसर को पूरी तरह से ठीक कर पाना मुश्किल होता है। यह कुछ प्रकार के ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के साथ यौन-संक्रमित संक्रमण के कारण होता है। इस तरह के संक्रमण आमतौर पर बिना किसी हस्तक्षेप के भी दूर हो जाते हैं लेकिन यदि संक्रमण बना रहता है तो यह कैंसर कुछ महीनों के भीतर विकसित हो सकता है।
सर्वाइकल कैंसर और बड़े जोखिम वाले एचपीवी के संबंध में मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून की निदेशक-प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ लूना पंत ने कहा, “एक छोटे से अनुपात में, एचपीवी के कुछ अधिक जोखिम वाले प्रकारों के साथ संक्रमण हो सकता है। गर्भाशय का कैंसर हो सकता है। एचपीवी बढ़ने और गर्भाशय कैंसर के जोखिमकारकों में धूम्रपान, प्रारंभिक वैवाहिक उम्र, कम उम्र में कई गर्भधारण, कई यौन साथी होने, अन्य यौन संचारित के साथ सह-संक्रमण और मौखिक गर्भनिरोधकों के दीर्घ कालिक उपयोग शामिल हैं। इसलिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि किशोरियों को समय रहते गर्भाशय के कैंसर और जीवन प्रथाओं के जोखिम कारकों से अवगत कराया जाना चाहिए।”
ज्यादा तर महिलाओं में शुरुआती कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते हैं। प्रारंभिक चरण में कुछ महिलाओं में आमतौर पर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। मेटास्टैटिक कैंसर में लक्षण उसके अंगों के आधार पर अधिक गंभीर हो सकते हैं जिनमें यह बीमारी फैल गई है। किसी भी लक्षण का कारण कोई अन्य वजह से हो सकता है जो की कैंसर न हो, इसलिए महिलाओं को चिकित्सा देखभाल लेने की आवश्यकता है यदि उनमें नया लक्षण है जो दूर नहीं हो रहा है।
डॉ रुनु शर्मा, कंसलटेंट-मेडिकल ऑन्कोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून के मुताबिक, “सर्वाइकल कैंसर के लक्षण या कारणों में रक्त के धब्बे या हल्के रक्तस्राव याय मासिक धर्म रक्तस्राव जो सामान्य से अधिक लंबा और भारी हैय संभोग के बाद रक्तस्राव, योनि स्राव में वृद्धि, संभोग के दौरान दर्द, रजोनिवृत्ति या, लगातार पीठ दर्द के बाद रक्तस्राव है। यह भी महत्वपूर्ण है कि 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को नियमित रूप से सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए। स्क्रीनिंग सस्ती हैं और आसानी से कैंसर का पता लगा सकती हैं। नियमित जांच के साथ, शुरुआती चरणों में गर्भाशय के कैंसर का पता लगाना और जीवन को बचाना संभव है।”
सर्वाइकल कैंसर के टीका करण के महत्व के बारे में बताते हुए डॉ शर्मा ने कहा, “सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता भारत में, खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत कम है, क्योंकि महिलाएं अक्सर शर्माती हैं और अपने लक्षणों पर खुलकर चर्चा नहीं करना चाहती हैं। हालांकि टीके उपलब्ध हैं, महिलाओं को उनके बारे में पता नहीं है और पता भी हैं तो वे इसे लगवाने के लिए विचार करने में सहज नहीं हैं। सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण 9 से 14 साल की लड़कियों के लिए की जाती है जहाँ 2 खुराकें 0 और 6 महीने में दी जाती हैं और इसके लिए किसी बूस्टर की आवश्यकता नहीं है। 14 साल की उम्र के बाद भी टीकाकरण 0,1 और 6 महीने पर दिया जा सकता है। लड़कियों को योन सम्बन्ध बनाने से पहले ही यह टीकाकरण करवा लेना चाइये। डॉ अमित सकलानी, एसोसिएट कंसलटेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी , मैक्स हॉस्पिटल देहरादून भी प्रेस वार्ता में उपस्थित थे।

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