डिजिटल करेंसी रुपया की राह आसान नहीं

भारतीय रिज़र्व बैंक बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी रुपया को जारी करने की दिशा में काम कर रहा है। अनुमान के मुताबिक प्रस्तावित डिजिटल करेंसी रुपया की कीमत निश्चित होगी और इसका मूल्य प्रिंटेड करेंसी रुपया के समान होगा। रिज़र्व बैंक डिजिटल करेंसी रुपया की ट्रैकिंग भी कर सकेगा। भारत में बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है। नौ जुलाई, 2021 तक भारत में 15 मिलियन लोग आभासी मुद्रा का उपयोग कर रहे थे, जबकि जून, 2021 तक दुनिया भर के देशों में 221 मिलियन लोग आभासी मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे थे।
‘वर्ल्डपेÓ एक कारोबारी सेवा और भुगतान प्रसंस्करण प्रदाता है, जो ऑनलाइन लेनदेन के लिए भुगतान गेटवे प्रदान करता है और वित्तीय सूचना प्रणाली (एफआईएस), जिसका कार्य सूचना एकत्र करना और उसकी व्याख्या करना है, के एक अध्ययन के अनुसार भारत में 40 प्रतिशत ई-कॉमर्स का भुगतान डिजिटल वालेट्स से किया जा रहा है। स्वीडन में 50 प्रतिशत खुदरा विक्रेता वर्ष 2025 तक नकदी, भुगतान के रूप में लेना बंद कर देंगे। इंग्लैंड में भुगतान में बैंक नोट्स की हिस्सेदारी वर्ष 2028 तक घटकर महज 9 प्रतिशत रह जायेगी। जापान में 28.6 प्रतिशत डिजिटल भुगतान किये जा रहे हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में 96 प्रतिशत भुगतान डिजिटली हो रहे हैं।
डिजिटल करेंसी रुपया को भारतीय रिज़र्व बैंक मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप के माध्यम से सीधे उपयोगकर्ता को भेज सकेगा, जिसे प्राप्त करने के बाद व्यक्ति उस डिजिटल करेंसी रुपया को किसी दूसरे व्यक्ति को अंतरित कर सकता है। भेजी गई डिजिटल करेंसी रुपया न तो किसी वॉलेट में जमा होगी और न ही किसी बैंक खाते में। रिज़र्व बैंक का मानना है कि डिजिटल करेंसी के अस्तित्व में आने के बाद, वैसे लोग जिन्हें अभी बिटकॉइन या किसी दूसरी आभासी मुद्रा में खरीद-फरोख्त करने से नुकसान हो रहा है, से उन्हें बचाया जा सकेगा। हालांकि, मौजूदा परिप्रेक्ष्य में, डिजिटल करेंसी रुपया के आने के बाद भी बिटकॉइन या दूसरे आभासी मुद्राओं के इस्तेमाल में किसी तरह की कोई कमी आने की संभावना नहीं है, क्योंकि बिटकॉइन या दूसरे आभासी मुद्राओं में मुनाफा ज्यादा है। उदाहरण के तौर पर 12 अगस्त, 2021 को 1 बिटकॉइन की कीमत 33,59,637 रुपये थी।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) नकदी का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। सीबीडीसी कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी या आभासी मुद्रा जैसे बिटकॉइन या ईथर के तर्ज पर काम करेगा, क्योंकि इनका लेनदेन बिना किसी मध्यस्थ या बैंक के होता है। फिलवक्त, बिटकॉइन या इस जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी निजी तौर पर जारी की जा रही है, जिसके कारण इन पर किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं है। इसके अधिकांश उपयोगकर्ता गुमनाम रहकर इनका लेनदेन करते हैं। आज आतंकी व गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल का एक बड़ा कारण जल्द से जल्द अमीर बनने की ललक भी है, क्योंकि आभासी मुद्राओं की कीमत में तेजी से उतार-चढ़ाव आता है।
चीन ने वर्ष 2014 में सीबीडीसी एक अनुसंधान समूह बनाया था और अप्रैल, 2020 में डिजिटल करेंसी पर दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए थे, जिसके तहत लॉटरी प्रणाली से ई-युआन बांटे गए थे। जून, 2021 तक 2.4 करोड़ लोगों और कंपनियों ने डिजिटल युआन के वॉलेट बना लिए थे।
वर्ष 2015 में यूनाइटेड किंग्डम ने डिजिटल करेंसी को अपने अनुसंधान के एजेंडे में शामिल किया था। वर्ष 2016 में बैंक ऑफ कनाडा ने डिजिटल करेंसी के लिए प्रोजेक्ट जेस्पर शुरू किया था। वर्ष 2017 में फ्रांस ने डिजिटल करेंसी के लिए प्रोजेक्ट एमएडीआरई शुरू किया था। वर्ष 2018 में कोरियाई बैंक ने डिजिटल करेंसी पर काम शुरू किया। वर्ष 2019 में यूरोपीय बैंक ईसीबी ने डिजिटल यूरो प्रोजेक्ट शुरू किया। वर्ष 2021 में अमेरिका ने 5 डिजिटल डॉलर की पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। जनवरी, 2021 में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स ने कहा कि दुनियाभर के 86 प्रतिशत केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को विकसित करने पर काम कर रहे हैं। डिजिटल करेंसी रुपया के अनेक फायदे हैं, जैसे इसके आने से नकदी पर निर्भरता कम हो जायेगी, डिजिटल लेनदेन से भुगतान प्रणाली सरल एवं तेज होगी, लागत में कमी आयेगी और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लग सकेगा। प्रिंटेड करेंसी या मुद्रा की छपाई, रखरखाव, लेनदेन आदि की लागत बहुत अधिक है। डिजिटल करेंसी रुपया के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाता रखने की भी जरूरत नहीं होगी। इसका लेनदेन ऑफलाइन भी किया जा सकेगा।
डिजिटल करेंसी रुपया के संदर्भ में तकनीकी नवोन्मेष से जुड़ी चुनौतियां भी मौजूद हैं और आर्थिक स्थायित्व के विकल्पों के पड़ताल में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में 2021 क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे भारत के डिजिटल करेंसी रुपया को मूर्त रूप देने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है, पर यह बिल सिर्फ कानूनी ढांचा भर है। आभासी मुद्रा विकसित करने या उसे नियंत्रित करने या उसे लागू करने की प्रक्रिया के बारे में स्पष्टता अभी भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर इसकी व्यावहारिक दिक्कत भी है क्योंकि भारत में अधिकांश लोग न तो वित्तीय रूप से साक्षर हैं और न ही तकनीक की जानकारी रखते हैं। सभी भारतीयों के पास स्मार्टफोन भी नहीं है।

सतीश सिंह

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