‘कमल’ थामने वाले कांग्रेस के 7 बड़े चेहरे

पूर्व दिग्गज नेता 2016 में बीजेपी में शामिल हुई थीं. उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ा था. रीता ने मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को हराकर यहां से जीत दर्ज की थी. रीता को योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें इलाहाबाद से उम्मीदवार बनाया. रीता यहां से अभी सांसद हैं. रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और कमला बहुगुणा की बेटी हैं, जो पूर्व सांसद थे. उन्होंने एमए कर इतिहास में पीएचडी किया है. वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास में प्रोफेसर भी रही हैं. उन्होंने इलाहाबाद की मेयर बनकर 1995 में राजनीति में प्रवेश किया था. वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. वह 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा थीं. 20 अक्टूबर 2016 को वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. पार्टी छोड़ने से पहले 24 साल तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ थीं. उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार हार गई. 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लखनऊ छावनी के लिए विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था. कद्दावर नेता 2015 में बीजेपी में शामिल हुआ था. बीजेपी में इनके रुतबे का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पूर्वोत्तर राज्य में जब भी कोई संकट आता है, तो शर्मा पार्टी की तरफ से संकटमोचक होते हैं. असम में शर्मा पार्टी के भरोसेमंद चेहरों में शुमार हैं. असम में शर्मा के पास वित्त, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विभाग हैं. 2001 से 2015 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट से असम के जलकुबारी निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के रूप में और मई 2016 तक भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में विधायक के रूप में सेवा की है. शर्मा 2016 की असम विधानसभा की निर्वाचन जितके असम के कैविनेट मंत्री बने.

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