क्या इस बार टेहरी का लोकसभा छेत्र का किला अभेद्य रह पायेगा

देहरादून. आगामी १९ अप्रैल को लोकसभा  चुनाव के प्रथम चरण के चुनाव होने हैं , बीजेपी की ओर से पुनः एक बार महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह  को टिकट दिया गया है. वहीँ कांग्रेस ने दिग्गज नेता जोत सिंह को टिकट दिया है. चुनाव बिलकुल सर पर है, किन्तु दोनों ही ओर से अभी तक चुनाव में सक्रियता कि कमी दिखाई दे रही है. निर्दलीय  प्रत्याशी अवश्य अपनी हवा बनाने में लगे हैं जो अंततः कहीं भी ठहरती प्रतीत नहीं हो रही है.

यदि विश्लेषण किया जाये तो दबी जुबान से ही सही मतदाताओ का मानना है कि बीजेपी कि प्रत्याशी महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह  के द्वारा अपने पिछले कार्यकालों में कोई भी ऐसा जनहित का कार्य नहीं किया गया जो कि धरातल पर दिखाई दे रहा हो. यहाँ तक कि अधिसंख्य मतदाताओ  का कहना है कि उन्होंने अभी तक कभी भी महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह  को देखा तक भी नहीं है, बहुत से तो अभी तक महारानी का नाम भी नहीं जानते. दूसरी ओर काग्रेस के दिग्गज और जनप्रिय नेता जोत सिंह गुनसोला मैदान में हैं जिनकी सामाजिक  छवि निसंदेह रूप से एक लोकप्रिय नेता की है. मसूरी के नगर पालिका अध्यक्ष  से लेकर, मसूरी विधानसभा के विधायक तक का  बेदाग़ सफर उनको पक्की ज़मीन देता है, विधायक के रूप में सर्वश्रेष्ठ  विधायक  चुना जाना, तत्पश्चात उत्तराखंड में क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना जाना उनकी प्रतिभा में चार चाँद लगता है. जोत सिंह गुनसोला का उत्तराखंड आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेना, जेल में यातनाये सहना किसी से भी छुपा नहीं है. मसूरी के समस्त आंदोलनकारियो के साथ दुःख सुख में सदैव काम आना तथा एक अभिभावक कि भूमिका उनको संबल प्रदान करने जैसा है. टेहरी के दूरस्थ ग्रामीण छेत्रो में भी गुनसोला का नाम आदर सहित लिया जाता है.

महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह  को भी कमतर आंकना एक भूल हो सकती है. टेहरी के छेत्र में अनेको ऐसे परिवार हैं जहाँ राजपरिवार को आज भी पूजा जाता है, तथा आँखें मूंदकर उनको वोट दिया जाता है. हालाँकि छेत्र से पलायन कर चुके कुछ परिवारों का ऐसा मानना नहीं है. उनका कहना है कि महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह  जी इतने अधिक बार जिताया गया किन्तु छेत्र में विकास कि गति लगभग शून्य ही रही है, पहाड़ का युवा इसीलिए  आज भी पलायन को मजबूर है. राजपरिवार के सदस्य आज़ादी के बाद एक बार निर्विरोध जीतने के बाद भी टेहरी छेत्र के विकास के प्रति संवेदनहीन ही रहे.

सबसे बड़ी समस्या मतदाताओ के समक्ष यह है कि आखिर वोट किसे दिया जाये. यदि कांग्रेस को वोट देते है तो उनके पास प्रधानमन्त्री के लिए कोई भी योग्य उम्म्मीदवार  नहीं है, और एक अकेला कुछ कर भी नहीं सकता, ऐसी स्थिति में मजबूर होकर मोदी जी के नाम से कमल के फूल पर बटन दबाना ही पड़ता है , वोट महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह को नहीं, मोदी जी के नाम पर ही पड़ेंगे, ऐसी आशा है, किन्तु फिर भी जोत सिंह गुनसोला जी कि व्यक्तिगत उज्जवल  छवि के चलते कोई उलट फेर न हो जाये, कुछ कहा भी नहीं जा सकता.

संपादक की कलम से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *