केशव प्रसाद मौर्य को हराने वाली पल्लवी पटेल से दो बार क्यों मिले योगी? क्या विरोधियों को बड़ा झटका देने की तैयारी है?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सिराथू विधानसभा क्षेत्र से विधायक और अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल से मुलाकात ने कई अटकलों को जन्म दे दिया है। खबरों के मुताबिक, पल्लवी पटेल ने गुरुवार और शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जो 20 से 25 मिनट तक चली। इस मुलाकात के दौरान पल्लवी पटेल ने उन अधिकारियों की शिकायत की, जो उनकी बात नहीं सुन रहे थे। इसके अलावा, यह भी चर्चा है कि पल्लवी पटेल एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ आने की कोशिश कर रही हैं।

पल्लवी पटेल ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सिराथू से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराया था। चूंकि केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रिश्ते सहज नहीं हैं, इसलिए इस मुलाकात को लेकर कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। पल्लवी पटेल, केंद्रीय राज्य मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की बहन हैं। हाल ही में, अनुप्रिया पटेल ने अपने दल की उपेक्षा को लेकर भाजपा से नाराजगी जताई थी। इस स्थिति में सवाल उठ रहा है कि क्या पल्लवी पटेल को तवज्जो देने का उद्देश्य अनुप्रिया पटेल की नाराजगी का समाधान करना है।

इसके अतिरिक्त, यह भी खबरें हैं कि पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी (सपा) के गठबंधन में शामिल होने के बावजूद अखिलेश यादव के कुछ फैसलों से नाराज हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस मुलाकात का ज्यादा राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए क्योंकि मुख्यमंत्री नियमित रूप से विधायकों से मिलते रहते हैं। उदाहरण के लिए, गुरुवार को मुख्यमंत्री ने प्रयागराज मंडल के विधायकों से मुलाकात की थी, और पहले भी विभिन्न मंडलों के विधायकों से मिलकर उनके क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया था।

हालांकि, पल्लवी पटेल की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बारे में केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक बेचैन नजर आ रहे हैं। मौर्य के समर्थकों का आरोप है कि उन्हें चुनाव में हरवाया गया था, लेकिन इस आरोप को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, खासकर जब लोकसभा चुनावों में भी भाजपा का प्रयागराज मंडल में प्रदर्शन कमजोर रहा।

केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में कहा था कि पार्टी संगठन सरकार से बड़ा है और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सार्वजनिक रूप से उजागर किया था। इस पर अखिलेश यादव ने उन्हें चुनौती दी थी कि यदि वे 100 विधायक लाते हैं तो उनकी सरकार बनवा देंगे। इसके जवाब में, केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि डबल इंजन की सरकार 2017 की तरह 2027 में भी चलेगी।

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