जल संरक्षण के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण भी अभियान का हिस्सा
देहरादून में ऐतिहासिक राजपुर बावड़ी से जल संरक्षण और संवर्धन की मुहिम की शुरुआत की गई है। जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में यह अभियान स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से चलाया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों और हेरिटेज साइट्स का भी संवर्धन करना है।
जल संरक्षण की दिशा में जिलाधिकारी का नेतृत्व
जिलाधिकारी सविन बंसल ने ओल्ड मसूरी रोड पर स्थित स्वामी विवेकानंद के ध्यान स्थल, राजपुर बावड़ी का निरीक्षण किया। उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में हो रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जल संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। इस अभियान के अंतर्गत नदियों, धारों और नालों के संरक्षण के लिए प्रभावी योजनाएं लागू की जा रही हैं।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक संरक्षण का समन्वय
जिलाधिकारी ने बताया कि इस मुहिम का उद्देश्य न केवल जल संरक्षण है, बल्कि लोगों को उनकी सांस्कृतिक धरोहरों से भी जोड़ना है। प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण के लिए स्थानीय मिट्टी और पत्थर का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक और प्राकृतिक तरीके अपनाए जाएंगे। इस पहल का मकसद इन जल स्रोतों के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखते हुए उनका संवर्धन करना है।
स्थानीय समुदाय और संगठनों की भागीदारी
जिलाधिकारी ने स्थानीय निवासियों और संगठनों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की। पहाड़ी पेडलर्स और अन्य सामाजिक संगठन इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि 70 से अधिक धारे, नौले और बावड़ियों का सर्वेक्षण हो चुका है, और इस मुहिम को निरंतर चलाया जाएगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों की भूमिका
पर्यावरण विशेषज्ञ पद्मश्री कल्याण सिंह रावत मैती को इस अभियान की जल संरक्षण समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। उनके अनुभव और योगदान से जनपद के प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण और संवर्धन वैज्ञानिक तरीकों से किया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और पेडलर्स भी उपस्थित रहे।