फिल्म नीति 2024 के चलते आकर्षित हो रहे निर्माता
बंशीधर तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड की नई फिल्म नीति से देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को शूटिंग में सहयोग, सुविधाएं और वित्तीय प्रोत्साहन मिल रहा है। इसके तहत:
- हिन्दी और आठवीं अनुसूची की भाषाओं में बनी फिल्मों को 30% या अधिकतम ₹3 करोड़ तक की सब्सिडी।
- गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी फिल्मों के लिए सब्सिडी को ₹25 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ तक।
- बाल फिल्मों को 10% अतिरिक्त अनुदान।
- ₹50 करोड़ से अधिक बजट की फिल्मों और विदेशी फिल्मों को अधिकतम ₹3 करोड़ तक की सब्सिडी।
- वेब सीरीज, टीवी सीरियल, डॉक्यूमेंट्री, म्यूजिक वीडियो, ट्रैवलॉग और ब्लॉग पर भी सब्सिडी का लाभ।
स्थानीय प्रतिभा को मिल रहा मंच
राज्य सरकार की नीति स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों को प्राथमिकता देती है। स्थानीय प्रतिभा को शामिल करने वाली फिल्मों को ₹10 लाख तक की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।
साथ ही, नई और कम प्रसिद्ध पर्वतीय लोकेशनों पर शूटिंग करने पर 5% तक अतिरिक्त अनुदान का भी प्रावधान किया गया है।
फिल्म शिक्षा और भविष्य की योजनाएं
बंशीधर तिवारी ने बताया कि फिल्म नीति में देश के प्रमुख फिल्म संस्थानों से पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान भी शामिल है। इसके अलावा, राज्य में फिल्म सिटी के निर्माण की योजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है।
स्थानीय कलाकारों को मिलेगा व्यापक लाभ
प्रसिद्ध अभिनेता हेमंत पांडेय ने सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इससे उत्तराखंड में स्थानीय फिल्मों का निर्माण बढ़ेगा, साथ ही यहां के कलाकारों और तकनीशियनों को भी रोज़गार और मंच मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह पहल उत्तराखंड की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक बनेगी।
सम्मान और आयोजन
कार्यक्रम का आयोजन प्रेस क्लब देहरादून में किया गया था।
प्रेस क्लब अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह कंडारी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किए।
महामंत्री सुरेंद्र सिंह डसीला ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस मौके पर अनिल चन्दोला, अभिषेक मिश्रा, शूरवीर भंडारी, दीपक बड़थ्वाल, मनवर रावत, संदीप बड़ोला, मोहम्मद असद सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।
उत्तराखंड की नई फिल्म नीति ने राज्य को फिल्म निर्माण के लिए आकर्षक गंतव्य बना दिया है। यह पहल न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, भाषा और प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच भी प्रदान कर रही है। आगामी वर्षों में उत्तराखंड की पहचान एक फिल्म फ्रेंडली स्टेट के रूप में और सुदृढ़ होती दिख रही है।