मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक का आयोजन
देहरादून, 14 अक्टूबर 2025: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई, जिसमें आठ महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर सहमति बनी। इन निर्णयों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, स्वास्थ्य सेवाओं का उन्नयन, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) नियमावली में बदलाव तथा राज्य स्थापना दिवस पर विशेष विधानसभा सत्र से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहे। बैठक के बाद सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली ने पत्रकारों को विस्तृत जानकारी साझा की, जो राज्य के सामाजिक, प्रशासनिक और विकासात्मक क्षेत्रों को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों का उन्नयन: महिलाओं के लिए नई संभावनाएं
कैबिनेट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए सभी मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण आंगनबाड़ी केंद्रों में परिवर्तित करने की स्वीकृति प्रदान की। इसके साथ ही सुपरवाइजर सेवा नियमावली 2021 में संशोधन किया गया, जिसके तहत सुपरवाइजर पदों पर भर्ती का स्वरूप बदला गया। पहले 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती, 40 प्रतिशत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से पदोन्नति तथा 10 प्रतिशत मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से पदोन्नति होती थी। अब केंद्र सरकार के निर्देशानुसार मिनी केंद्रों के उन्नयन के बाद 10 प्रतिशत कोटा को समाहित करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पदोन्नति कोटे को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। इससे ग्रामीण स्तर पर कार्यरत महिलाओं को प्रमोशन के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
नई विधानसभा भवन परियोजना: फ्रीज जोन में ढील
राजधानी देहरादून के रायपुर इलाके में प्रस्तावित नई विधानसभा भवन परियोजना के लिए कैबिनेट ने फ्रीज जोन संबंधी प्रतिबंधों में आंशिक छूट देने का फैसला लिया। पहले इस क्षेत्र को पूर्णतः प्रतिबंधित घोषित किया गया था, लेकिन अब छोटे आवासों (कम घनत्व वाले घरों) और लघु वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों (छोटी दुकानों) के निर्माण की अनुमति मिलेगी। इन निर्माणों के मानक आवास विकास विभाग द्वारा तय किए जाएंगे। यह निर्णय स्थानीय निवासियों को राहत प्रदान करेगा तथा क्षेत्रीय विकास को गति देगा, बिना विधानसभा परियोजना को प्रभावित किए।
स्वास्थ्य सेवाओं में लचीलापन: तबादला नीति में संशोधन
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों की सेवा नियमावली में महत्वपूर्ण बदलाव को मंजूरी दी गई। अब पांच वर्ष की संतोषजनक सेवा के बाद कर्मचारी अपने जीवनकाल में एक बार पारस्परिक स्थानांतरण (एक-दूसरे की जगह पर) का विकल्प चुन सकेंगे। नए स्थान पर वे संबंधित जिले के कैडर में सबसे जूनियर माने जाएंगे। इसके अतिरिक्त, रिक्त पदों की उपलब्धता पर पहाड़ी से पहाड़ी तथा मैदानी जिलों से पर्वतीय जिलों में स्थानांतरण की सुविधा भी उपलब्ध होगी। विभाग द्वारा इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। यह कदम कर्मचारियों के पारिवारिक जीवन को सरल बनाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की दक्षता बढ़ाएगा।
UCC नियमावली में विस्तार: विवाह पंजीकरण को सरल बनाया
समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे में ऑनलाइन विवाह पंजीकरण प्रक्रिया को और समावेशी बनाने के लिए संशोधन को हरी झंडी दिखाई गई। पहले केवल आधार कार्ड अनिवार्य था, लेकिन अब उत्तराखंड में नेपाली, भूटानी तथा तिब्बती मूल के व्यक्तियों के लिए वैकल्पिक दस्तावेजों को मान्यता दी गई है। इनमें नेपाल/भूटान नागरिकता प्रमाणपत्र, 182 दिनों से अधिक भारत प्रवास के लिए नेपाली मिशन या रॉयल भूटानी मिशन द्वारा जारी प्रमाणपत्र तथा तिब्बती मूल के लोगों के लिए विदेशी पंजीकरण अधिकारी का वैध प्रमाणपत्र शामिल हैं। यह बदलाव राज्य की विविध सांस्कृतिक संरचना को ध्यान में रखते हुए UCC के कार्यान्वयन को अधिक प्रभावी बनाएगा।
राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति: अर्हता में छूट
कैबिनेट ने राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ी नियमावली में शिथिलीकरण संबंधी संशोधन को स्वीकृति प्रदान की। इससे योग्यता सेवा अवधि में कुछ लचीलापन आएगा, जो कर्मचारियों के करियर प्रगति को तेज करेगा। यह निर्णय प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और योग्य व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में उठाया गया है।
विधानसभा सत्र और राज्य स्थापना दिवस: विशेष प्रावधान
मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में विचलन के जरिए विधानसभा सत्र समाप्त करने के निर्णय को कैबिनेट ने सूचना के लिए लाया। साथ ही, राज्य स्थापना के 25वें वर्ष (रजत जयंती) पर पांचवीं विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने की तिथि निर्धारण हेतु मुख्यमंत्री को पूर्ण अधिकार प्रदान किया गया। यह सत्र राज्य के गौरवपूर्ण इतिहास को चिह्नित करेगा तथा विकास यात्रा पर चर्चा का मंच बनेगा।
सार्वजनिक उपक्रमों से लाभांश: राज्य कोष को मजबूती
राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को करोत्तर लाभांश (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) का 15 प्रतिशत राज्य सरकार को हस्तांतरित करने के प्रावधान को मंजूरी मिली। यह कदम राज्य के राजस्व को बढ़ावा देगा तथा विकास परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराएगा। कैबिनेट ने इसे वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाला बताया।