संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने इजराइल के कब्जे की वैधता पर विशेषज्ञ राय देने के लिए बैठक बुलाई

हेग, नीदरलैंड्स: संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने फलस्तीनी राष्ट्र के लिए मांगी गई भूमि पर इजराइल के 57 वर्षों के कब्जे की वैधता पर एक गैर-बाध्यकारी सलाहकारी राय देने के लिए सुनवाई शुरू की है। यह निर्णय इजरायल की नीतियों की तुलना में अंतरराष्ट्रीय राय पर अधिक प्रभाव डाल सकता है।

सुनवाई का विवरण

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष नवफ सलाम को विश्व भर के 15 न्यायाधीशों की समिति की राय पढ़ने में लगभग एक घंटे का समय लगने की उम्मीद है। शुक्रवार की सुनवाई गाजा पर इजराइल के 10 महीने के भीषण सैन्य हमले की पृष्ठभूमि में हो रही है। दक्षिणी इजराइल में हमास के हमलों के बाद उसने यह जवाबी कार्रवाई शुरू की थी।

गाजा और अन्य विवादित क्षेत्र

इजराइल ने 1967 में पश्चिमी तट, पूर्वी यरुशलम, और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। फलस्तीनी इन तीनों क्षेत्रों को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में चाहते हैं। इजराइल पश्चिमी तट को विवादित क्षेत्र मानता है, जिसका भविष्य बातचीत से तय किया जाना चाहिए। उसने हालांकि अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए वहां बस्तियां बसा दी हैं। उसने पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके इस कदम को मान्यता प्राप्त नहीं है।

गाजा की स्थिति

इजराइल ने 2005 में गाजा से अपनी सेना वापस बुला ली थी, लेकिन 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद भी इसने इस क्षेत्र की नाकेबंदी जारी रखी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय आम तौर पर तीनों क्षेत्रों को अधिकृत क्षेत्र मानता है।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय दक्षिण अफ्रीका के इस दावे पर भी विचार कर रहा है कि गाजा में इजराइल का अभियान नरसंहार के बराबर है। इस दावे का इजराइल पुरजोर खंडन करता है।

निष्कर्ष

यह सुनवाई इजराइल-फलस्तीन विवाद के विभिन्न पहलुओं पर अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित करने की संभावना रखती है। न्यायालय की सलाहकारी राय का महत्व इजराइल और फलस्तीन के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

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