अंततः अखंड भारत का सपना होगा साकार

हर साल की तरह इस वर्ष भी 15 अगस्त 2024 को पूरे भारत में 77वां स्वतंत्रता दिवस बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। 15 अगस्त 1947 से पहले, भारतीय लोग अंग्रेजों के शासन के अधीन थे, लेकिन इस दिन उन्हें अंग्रेजों के शासन से मुक्ति मिली और भारत स्वतंत्र हुआ। इसलिए इस दिन को स्वतंत्रता दिवस की बजाय स्वाधीनता दिवस कहना अधिक उचित होगा। स्वतंत्रता शब्द दो हिस्सों से बना है: “स्वय” और “तंत्र,” जिसका अर्थ होता है खुद का शासन। सही मायनों में स्वतंत्रता दिवस तभी कहा जा सकता है जब देश में स्वयं का शासन हो।

आजकल भारतीय नागरिकों में देश के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और वे “भारत के हित सर्वोपरि हैं” की बात करने लगे हैं। फिर भी, भारत में तंत्र अभी भी माँ भारती के प्रति समर्पित भाव से काम नहीं कर रहा है, जिससे कभी-कभी असामाजिक तत्व अपने भारत-विरोधी एजेंडे पर काम कर जाते हैं और समाज में अशांति फैलाने में सफल हो जाते हैं। ‘स्व’ का तंत्र स्थापित होने से तात्पर्य है कि देश में हिंदू सनातन संस्कृति का पालन सुनिश्चित हो।

प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु था। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारतीय सनातन संस्कृति का प्रभाव था। उस समय भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। विश्वभर से विद्यार्थी भारत के विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने आते थे। भारत पर शक, हूण, कुषाण और यवन का आक्रमण हुआ, लेकिन वे भारतीय सनातन संस्कृति में रच-बस गए। परंतु, मुस्लिम आक्रमणकारी और ब्रिटिश शासन ने भारतीय संस्कृति पर गहरा आघात किया। उन्होंने भारतीय नागरिकों का धर्म परिवर्तन कराया, अत्याचार किए, और बड़े-बड़े मंदिर और ज्ञान केंद्र नष्ट किए। अंग्रेजों ने भारतीयों में हीनभावना भरने और भारतीय शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने में सफलता पाई। अंग्रेजों ने भारतीयों को ऐसा महसूस कराया कि वे असभ्य और अनपढ़ थे, और उन्होंने ही उन्हें सभ्य बनाया। आज भी देश में वही शिक्षा प्रणाली चल रही है, जिससे लोग केवल नौकरी के लिए ही पढ़ाई करते हैं, और अपने व्यवसाय स्थापित करने में रुचि नहीं दिखाते।

भारत को आक्रांताओं और अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए समय-समय पर कई योद्धाओं ने संघर्ष किया। जैसे शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, राणा सांगा आदि। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले वीर क्रांतिकारियों में रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद के नाम प्रमुख रूप से लिए जा सकते हैं। स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने वाले महात्मा गांधी, सरदार पटेल, सुभाषचंद्र बोस भी इस सूची में शामिल हैं। विवेकानंद और डॉक्टर हेडगेवार ने भी सांस्कृतिक विचारक के रूप में अपनी भूमिका निभाई। इन सबके प्रयासों से 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन इसके साथ ही विभाजन की त्रासदी भी आई, जिसमें करोड़ों लोग मारे गए और पाकिस्तान का गठन हुआ।

भारत का विभाजन क्यों हुआ? इस पर विचार करने पर पता चलता है कि अंग्रेजों ने यह भ्रम फैलाया कि आर्य बाहर से आए थे, और इस तरह उन्होंने भारतीयों में मतभेद पैदा किए। साथ ही, उन्होंने यह धारणा भी फैलाई कि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई है, जबकि राष्ट्र एक सांस्कृतिक इकाई होती है। अंग्रेजों का मुस्लिम तुष्टिकरण भी विभाजन का कारण बना। राष्ट्रवादी मुसलमानों की उपेक्षा की गई, और जनभावना को नकारा गया। इसके अलावा, उस समय भारत का नेतृत्व भी मजबूत नहीं था, जिसके कारण भारत को विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा।

भारत को पहले भी विभाजित किया गया था, लेकिन 1947 का विभाजन सबसे भयंकर था। पहले म्यांमार, तिब्बत, भूटान, नेपाल, और अफगानिस्तान भारत से अलग हो चुके थे। 1948 में श्रीलंका भी अलग हो गया और कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया। 1962 में अक्साई चिन भी भारत से अलग हो गया।

इन विभाजित भूभागों से आज भी भारत का सांस्कृतिक संबंध बना हुआ है। अफगानिस्तान में बामियान बुद्ध की मूर्तियां, पाकिस्तान में तक्षशिला विश्वविद्यालय, हिंगलाज माता का मंदिर, और भगवान झूलेलाल जैसे सांस्कृतिक स्थल इसके उदाहरण हैं। नेपाल में कैलाश मानसरोवर, पशुपति नाथ मंदिर, और लुम्बिनी जैसे पवित्र स्थल हैं। इन सभी सांस्कृतिक धरोहरों के कारण भारत को फिर से अखंड बनाने की आवश्यकता महसूस होती है।

महर्षि अरविंद ने कहा था कि भारत का अखंड होना ईश्वर की इच्छा है, और स्वामी विवेकानंद को भी विश्वास था कि भारत एक सनातन राष्ट्र के रूप में अखंड होगा। आज हमें इस विश्वास को मजबूत करना होगा कि भारत एक अखंड राष्ट्र बनेगा। इसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें सभी मत-पंथों के अनुयायियों को उनकी पूजा पद्धति के लिए स्वतंत्रता हो।

भारत के अखंड होने की संभावना सिर्फ एक सपना नहीं है। जर्मनी का पुनर्मिलन और वियतनाम में बाहरी षड्यंत्रों का विफल होना इसके उदाहरण हैं। इज़राइल भी अनवरत प्रयासों से बना, तो भारत क्यों नहीं अखंड हो सकता?

  • प्रह्लाद सबनानी

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