यूसीसी को मिला प्रदेशवासियों का भरपूर समर्थन
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को जनसहभागिता और तकनीकी नवाचार के माध्यम से सफलतापूर्वक लागू किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि केवल चार माह में डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस उपलब्धि के पीछे ग्राम स्तर तक पहुँच बनाने वाली योजनाबद्ध रणनीति रही है, जिसके तहत 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स, मोबाइल ऐप और पोर्टल को सेवा में लगाया गया।
यूसीसी से महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बल
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यूसीसी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हुए हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाएगा। इसके तहत सभी नागरिकों को समान विवाह, तलाक और उत्तराधिकार कानूनों के तहत लाया गया है। बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा, चाहे वे किसी भी धर्म या स्थिति में जन्मी हों।
पंजीकरण की प्रणाली को बनाया गया सुलभ और सुरक्षित
यूसीसी के तहत विवाह, तलाक, और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। विशेषकर लिव-इन रिश्तों की जानकारी रजिस्ट्रार के माध्यम से गोपनीय रूप से माता-पिता को दी जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य युवाओं की सुरक्षा और सामाजिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
जनभागीदारी और परामर्श के साथ तैयार हुआ यूसीसी ड्राफ्ट
27 मई 2022 को गठित जस्टिस रंजना देसाई समिति द्वारा राज्य के सभी 13 जिलों में जनपरामर्श किया गया, जिसमें 2.32 लाख सुझाव प्राप्त हुए। समिति ने हर वर्ग – नागरिक, राजनैतिक दलों और आयोगों – से संवाद कर मसौदा तैयार किया। इसके बाद 7 फरवरी 2024 को विधेयक पारित हुआ और 11 मार्च को राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद 27 जनवरी 2025 को राज्य में इसे लागू कर दिया गया।
अनुच्छेद 44 की भावना को धरातल पर उतारता उत्तराखंड
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना के अनुरूप यूसीसी को पूर्ण रूप से लागू किया। मुख्यमंत्री धामी ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है।
मुख्य बातें संक्षेप में:
- 1.5 लाख+ आवेदन सिर्फ 4 माह में
- 98% गांवों से भागीदारी
- 14,000+ कॉमन सर्विस सेंटर्स
- 2.32 लाख सुझावों के आधार पर तैयार मसौदा
- 27 जनवरी 2025 से राज्य में विधिवत लागू
- लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य, गोपनीयता सुनिश्चित
- बेटियों को बराबरी का संपत्ति अधिकार
- महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं पर पूर्ण रोक
- अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया