सिविल सेवकों का मुख्य उद्देश्य हो जनजीवन में बदलाव लाना : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

सिविल सेवकों को बनना होगा परिवर्तन के संवाहक

मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में आयोजित 127वें इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें केवल योजनाओं के कार्यान्वयनकर्ता बनकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें सामाजिक परिवर्तन के प्रतिनिधि की भूमिका निभानी चाहिए।


वंचित वर्गों की सेवा को प्राथमिकता देने की अपील

बिरला ने अधिकारियों को याद दिलाया कि समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को प्रशासन से सबसे अधिक उम्मीद होती है। ऐसे में आवश्यक है कि अधिकारी करुणा और सहानुभूति से कार्य करें और यह सुनिश्चित करें कि प्रशासनिक निर्णयों का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे


लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है एलबीएसएनएए

लोकसभा अध्यक्ष ने एलबीएसएनएए को लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह संस्थान वर्षों से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को ‘कर्मयोगी’ कहकर संबोधित किया और कहा कि वे देश की सेवा में संकल्पबद्ध भाव से कार्य करें


प्रशासन की भूमिका केवल नीतियों के कार्यान्वयन तक सीमित नहीं

ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि सिविल सेवकों का दायित्व केवल नीतियों को लागू करना नहीं, बल्कि उन्हें इस प्रक्रिया में मानवता, संवेदनशीलता और नैतिकता को भी जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अच्छा अधिकारी वह होता है जो समाज के व्यवहार, सोच और प्रशासनिक तंत्र में सकारात्मक परिवर्तन ला सके।


लाल बहादुर शास्त्री से लें प्रेरणा

बिरला ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी का सादा जीवन और ऊँचे विचार आज भी सभी लोकसेवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।


प्रशासन को बनाना होगा जनता का सहयोगी

लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अधिकारी अपने कार्यों से ऐसा विश्वास बनाएं कि आम नागरिक को अपने जनप्रतिनिधियों के पास बार-बार शिकायत लेकर न जाना पड़े। उन्होंने न्याय और सेवा की भावना से काम करने की अपील की ताकि जनता को अपनेपन और सुरक्षा का अनुभव हो


राजनीतिक हस्तक्षेप के विरुद्ध जनता का समर्थन

अपने अनुभव साझा करते हुए श्री बिरला ने बताया कि कई बार राजनीतिक हस्तक्षेप से स्थानांतरित किए गए अधिकारियों को जनता का भरपूर समर्थन मिला, क्योंकि उन्होंने ईमानदारी और जनसेवा से अपना स्थान जनता के दिलों में बना लिया था।


निरंतर सीखते रहें अधिकारी

बिरला ने बदलती तकनीकों, सामाजिक परिस्थितियों और वैश्विक परिवर्तनों के मद्देनज़र अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण, आत्ममंथन और नवाचार की प्रक्रिया में सक्रिय रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अनुभवों का आदान-प्रदान प्रशासनिक दक्षता को और समृद्ध करता है


सेवा का भाव ही है असली उपलब्धि

समापन भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वास्तविक संतुष्टि किसी पद या सम्मान में नहीं, बल्कि किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में होती है। उन्होंने कहा कि एक सच्चा लोकसेवक वही होता है जो हर नागरिक को यह महसूस कराए कि वह सुना गया है, समझा गया है और उसकी समस्या का समाधान हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *