देहरादून। भारतीय अपराध साहित्य महोत्सव (सीएलएफआई) के दूसरे दिन देहरादून के हयात सेंट्रिक में दर्शकों ने अपराध, न्याय और साहित्य के आपसी संबंधों पर रोचक चर्चाओं का आनंद लिया। इस महोत्सव में लेखक, फिल्म निर्माता, कानून व्यवस्था से जुड़े अधिकारी और पत्रकार एक मंच पर आए।
दिन का आरंभ एक आकर्षक सत्र “सिद्धू मूसे वाला को किसने मारा? लॉरेंस बिश्नोई एंगल” से हुआ। इस चर्चा में जुपिंदरजीत सिंह और सिद्धांत अरोड़ा ने हिस्सा लिया। उन्होंने इस हाई-प्रोफाइल मामले के खतरनाक पहलुओं और भारत में संगठित अपराध की स्थिति पर विस्तार से बात की।
“स्मरणीय हैं विजय रमन-एक सज्जन पुलिस अधिकारी जिन्होंने पान सिंह तोमर का खत्म किया” सत्र दिवंगत पुलिस अधिकारी विजय रमन को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया। आलोकलाल, के विजय कुमार और वीना विजय रमन ने इस सत्र में भाग लिया और पुलिस की मानवीय पहलुओं पर चर्चा की।
दोपहर के सत्रों में “बंदूक, हिम्मत और कलम-मिर्जापुर के लेखक से बातचीत” विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। लेखक अविनाश सिंह तोमर ने गंभीर अपराध कथा की रचना प्रक्रिया साझा की। इसके अलावा, अशोक कुमार ने “प्रॉक्सी वॉर्स-आईएसआई और अन्य संगठनों के खतरनाक खेल” सत्र में वैश्विक खुफिया एजेंसियों की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
फेस्टिवल के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा, “हम इस फेस्टिवल के माध्यम से सार्थक संवाद का मंच बनाना चाहते हैं, जो बड़े बदलाव की प्रेरणा देगा।” फेस्टिवल के निदेशक आलोकलाल ने आयोजन के दूसरे दिन को सफल बताते हुए कहा, “आज के सत्रों ने दिखाया कि किस तरह प्रभावशाली कहानियां जटिल मुद्दों को उजागर कर सकती हैं।”
- डिटेक्टिव्स डेन डिस्कशन: देहरादून की दुर्घटना पर चर्चा।
- मैडम कमिश्नर: मीरान बोरवणकर की पुस्तक पर चर्चा।
- फैंग्स ऑफ डेथ: केरल स्नेकबाइट मर्डर पर विशेष सत्र।
- कोडनेम स्टैलियन: आगामी पुस्तक का अनावरण।
- पटकथा लेखन कार्यशाला: आकाश खुराना द्वारा।
- अंडरकवर ह्यूमर: पुलिस अधिकारियों के मानवीय पहलुओं पर हास्य के माध्यम से चर्चा।
“अंडरकवर ह्यूमर-व्हाई कॉप कैरेक्टर्स शाइन इन स्लैपस्टिक कॉमेडी” के साथ दिन का समापन हुआ। कविता कौशिक, अशोक कुमार और मानसलाल ने इस सत्र में हिस्सा लिया। चर्चा में पुलिस अधिकारियों की चुनौतियों और उनके मानवीय पहलुओं को हास्य के जरिए दर्शाने के तरीकों पर बात हुई।