विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर देहरादून में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल श्रम उन्मूलन हेतु की गई रणनीतिक चर्चा

कार्यशाला का उद्देश्य और उद्घाटन समारोह

देहरादून के होटल सैफरॉन लीफ में आयोजित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की समस्या के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना, कानूनों की समीक्षा करना और समाज को इसमें सहभागिता के लिए प्रेरित करना रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
अतिथियों का शॉल और पौध भेंट कर स्वागत किया गया।


बाल श्रम की स्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा

सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने बाल श्रम निषेध दिवस की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य में बाल श्रम की स्थिति में सुधार आया है, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में कमी देखी गई है, जो कि जिला टास्क फोर्स के प्रयासों का परिणाम है।


बाल अधिकारों की रक्षा हेतु आयोग की भूमिका

डॉ. गीता खन्ना ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों से भेदभाव नहीं होना चाहिए और उन्हें समान अवसरों के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए।
उन्होंने आईएलओ के दिशा-निर्देशों, बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम 1986, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015, आरटीई एक्ट 2009, बॉन्डेड लेबर एबोलिशन एक्ट 1976, और भारतीय न्याय संहिता 2025 की जानकारी दी।


समाज, परिवार और उद्योग जगत की साझेदारी ज़रूरी

उन्होंने कहा कि समाज, अभिभावकों, शिक्षकों और उद्योगपतियों को मिलकर बाल श्रम मुक्त भारत के निर्माण में आगे आना चाहिए। बच्चों को शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, हुनर विकास और बौद्धिक उन्नयन की दिशा में प्रेरित किया जाना चाहिए।


बाल श्रम के कारण और समाधान

बाल श्रम के पीछे गरीबी, अज्ञानता, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ, बाल तस्करी, मौसमी प्रवासन, पर्यटन क्षेत्र में रोजगार की मांग जैसे कारणों को सामने रखा गया।
डॉ. खन्ना ने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए सशक्त नीति, निगरानी तंत्र और संस्थागत समन्वय आवश्यक है।


तकनीकी सत्र में प्रशासनिक प्रयासों की समीक्षा

अपर श्रम आयुक्त अनिल पेटवाल ने बाल श्रम पर राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों, ऑपरेशन मुक्ति, और पुनर्वास योजनाओं पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि बाल श्रम में संलग्न बच्चों के मानसिक स्थिति को समझना तथा उनके लिए पुनर्वास की मजबूत व्यवस्था करना आवश्यक है।


‘बचपन बचाओ आन्दोलन’ की भूमिका और समूह चर्चा

राज्य समन्वयक सुरेश उनियाल ने बचपन बचाओ आन्दोलन की ओर से बाल श्रम समाप्त करने हेतु चल रहे अभियानों की जानकारी दी।
प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है’ विषय पर समूह चर्चा आयोजित की गई जिसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों पर विचार साझा किए गए।


समापन और भावी प्रतिबद्धता

कार्यक्रम का समापन आयोग के अनु सचिव डॉ. सतीष कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला एक प्रेरणास्पद मंच सिद्ध हुई, जिसमें विभिन्न विभागों, संगठनों और नागरिक प्रतिनिधियों ने बाल श्रम के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर यह राज्य स्तरीय कार्यशाला उत्तराखंड में बाल श्रम की स्थिति को समझने, कानूनी उपायों पर चर्चा करने और सभी पक्षों को एक मंच पर लाने का एक सशक्त प्रयास रही। कार्यशाला ने बाल अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और नवीन रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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