ऋषिकेश, 07 अक्टूबर 2025 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ऋषिकेश में आयोजित ‘सरस आजीविका मेले’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 12 सीएलएफ (कम्युनिटी लेवल फेडरेशन) के लिए 1.20 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। इसके अलावा, 10 अन्य सीएलएफ के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित गतिविधियों का शिलान्यास भी किया। मेले में ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के स्टॉल्स ने स्थानीय उत्पादों—हस्तशिल्प, जैविक खाद्य पदार्थ और पारंपरिक वस्त्रों—को प्रदर्शित किया। सीएम धामी ने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को साकार करने वाला प्रयास बताते हुए महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया। लखपति दीदी योजना के तहत 1.65 लाख से अधिक महिलाओं ने सफलता हासिल की है, जो ग्रामीण उद्यमिता की नई मिसाल है।
ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा: 12 गतिविधियों का लोकार्पण, 10 का शिलान्यास
मुख्यमंत्री धामी ने मेले के मुख्य मंच से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 12 सीएलएफ की 1.20 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियों का उद्घाटन किया। ये गतिविधियां ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा करेंगी, जैसे हस्तशिल्प उत्पादन, जैविक खेती और पैकेजिंग इकाइयां। इसके साथ ही, 10 अन्य सीएलएफ के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया।
धामी ने कहा, “ये गतिविधियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगी।” मेले में ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन की ‘ग्रामोत्थान परियोजना’ के तहत स्थापित कोचिंग सेंटर का भी उद्घाटन किया, जहां युवा घर बैठे जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे। यह पहल ग्रामीण युवाओं को उच्च शिक्षा के द्वार खोलने वाली है।
स्वदेशी अपनाओ का संदेश: स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ें
मेले में एसएचजी के सदस्यों और ग्रामीण उद्यमियों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि यह आयोजन ग्रामीण सांस्कृतिक धरोहर, कौशल और उद्यमशीलता को प्रदर्शित करने का अनूठा मंच है। “स्वदेशी उत्पाद खरीदना केवल सामान लेना नहीं, बल्कि ग्रामीण कारीगरों, मातृशक्ति और उद्यमियों के सपनों में निवेश है। यह हमारी संस्कृति को जीवित रखता है और स्थानीय आजीविका को सुरक्षित करता है,” धामी ने जोर देकर कहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ मंत्रों का उल्लेख किया, जो मेले के माध्यम से साकार हो रहे हैं। स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का प्रयास जारी है। धामी ने उपस्थितजनों से अपील की कि वे मेले के स्टॉल्स से स्वदेशी वस्तुएं खरीदकर महिलाओं को सशक्त बनाएं।
महिलाओं का सशक्तिकरण: लखपति दीदी से हाउस ऑफ हिमालयाज तक
मुख्यमंत्री ने महिलाओं के आर्थिक उत्थान पर विशेष फोकस बताया। लखपति दीदी योजना के तहत 1.65 लाख से अधिक महिलाओं ने लक्ष्य हासिल किया है। ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के अंतर्गत 2000 स्टॉल्स से 5.5 करोड़ रुपये का विपणन हुआ है। ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड से स्थानीय उत्पाद विश्व बाजार तक पहुंच रहे हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 68 हजार एसएचजी में 5 लाख सदस्य जुड़े हैं, साथ ही 7,500 ग्राम संगठन और 534 क्लस्टर संगठन बने हैं। धामी ने कहा, “आर्थिक रूप से सशक्त महिला पूरे समाज को मजबूत करती है।” महिला किसानों के लिए फार्म लाइवलीहुड योजना से 3 लाख महिलाओं का कौशल विकास, 2.5 लाख एग्रीन्यूट्री गार्डन, 500 फार्म मशीनरी बैंक और 5,000 महिलाओं को आर्गेनिक खेती से जोड़ने का कार्य हो रहा है।
ग्रामीण विकास की नई दिशा: ग्रामोत्थान परियोजना का सराहनीय प्रयास
मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन की ‘ग्रामोत्थान परियोजना’ की सराहना की। यह परियोजना ग्रामीणों को कौशल प्रशिक्षण, विपणन और उद्यमिता से जोड़ रही है। मेले में एसएचजी के स्टॉल्स ने हस्तशिल्प, जैविक उत्पाद और पारंपरिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम बने।
धामी ने कहा, “ये मेले स्थानीय उत्पादों को बाजार से जोड़ते हैं और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाते हैं।” कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, एसएचजी सदस्य, ग्रामीण उद्यमी और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।