हॉर्टीकल्चर, जैविक खेती, आयुष, ऊर्जा, पर्यटन और शिक्षा होंगे राज्य के प्रमुख ग्रोथ इंजन।
सरकारी नीतियों की नई परिस्थितियों के अनुरूप समीक्षा की जाएगी।
विजन उत्तराखंड 2047 के लिए विकास योजनाओं का एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश।
विकसित उत्तराखंड 2047 का विजन
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में विजन उत्तराखंड 2047 को लेकर ठोस रणनीति पर चर्चा हुई। उन्होंने राज्य के विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को ग्रोथ इंजन के रूप में चिन्हित किया।
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड की जैविक खेती, आयुष और पर्यटन जैसे क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
1. हॉर्टीकल्चर एवं जैविक खेती
- हाई-वैल्यू फसलें: सेब, कीवी, अखरोट और सुगंधित पौधों की खेती।
- पॉलीहाउस खेती: जलवायु अनुकूल रणनीति के तहत किसानों को 50,000 पॉलीहाउस उपलब्ध कराना।
- खट्टे फल और अखरोट मिशन: किसानों की आय को 10-15 गुना बढ़ाने का लक्ष्य।
- कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर: सौर ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोरेज व प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना।
2. आयुष एवं वेलनेस हब
- उत्तराखंड को वैश्विक आयुष गंतव्य के रूप में विकसित किया जाएगा।
- 1,000 से अधिक औषधीय पौधों की प्रजातियों की खेती और आयुष क्लस्टर का विकास।
- 100 आयुष गांव और वेलनेस सेंटर का निर्माण।
- औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
3. पर्यटन क्षेत्र
- उत्तराखंड के पर्यटन का जीएसडीपी में योगदान 10-12% है, इसे बढ़ाकर 20% करने का लक्ष्य।
- साहसिक, धार्मिक और वेलनेस पर्यटन को बढ़ावा।
- इको-टूरिज्म गांवों की स्थापना और शून्य-उत्सर्जन मॉडल का विकास।
- 2047 तक सालाना 200 मिलियन पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना।
4. ऊर्जा क्षेत्र
- उत्तराखंड में 100% नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य।
- हरित हाइड्रोजन हब का निर्माण और जलविद्युत शक्ति का दोहन।
- स्मार्ट ग्रिड सिस्टम और स्मार्ट मीटरिंग परियोजनाओं का विस्तार।
- ऊर्जा उत्पादन के लिए सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग।
5. शिक्षा और स्वास्थ्य
- राज्य के नागरिकों को शिक्षित व कौशल संपन्न बनाना।
- स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर समावेशी विकास सुनिश्चित करना।
मुख्य सचिव का विजन
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि “हमारा लक्ष्य उत्तराखंड को समृद्ध, सतत और समावेशी राज्य में परिवर्तित करना है। जहां पर्यावरणीय संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बना रहे, साथ ही लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हों।”