राहुल गांधी के बयान से उठा विवाद: जाति और आरक्षण पर फिर से बहस

नई दिल्ली। राहुल गांधी के हालिया अमेरिकी दौरे के दौरान दिए गए बयानों ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। खासकर उनके आरक्षण से संबंधित बयान ने विवाद को और गहरा कर दिया है। राहुल गांधी ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में कहा कि आरक्षण तब समाप्त होगा जब भारत में सभी लोग समान होंगे। इस बयान के बाद मायावती समेत बीजेपी ने उन पर जमकर निशाना साधा है। जाति और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर उठे इस विवाद के बाद देश में एक बार फिर से कास्ट पॉलिटिक्स का जोर बढ़ गया है।

जाति की राजनीति का मुद्दा

लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने बार-बार यह दावा किया कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो वह संविधान बदलकर आरक्षण समाप्त कर देगी। चुनावी रैलियों में वह संविधान की प्रति लेकर मंच पर आते थे और संविधान की रक्षा का वादा करते थे। वहीं, चुनाव बाद जब राहुल की जाति को लेकर संसद में सवाल उठाया गया, तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बहस हुई। अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी की जाति को लेकर सवाल उठाया, जिसके जवाब में राहुल ने खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण बताया।

जनेऊ और गोत्र पर विमर्श

राहुल गांधी ने अपने गोत्र को “दत्तात्रेय कौल ब्राह्मण” बताया, जो उनके नाना जवाहरलाल नेहरू का भी गोत्र था। लेकिन सोशल मीडिया पर यह विमर्श जारी है कि राहुल गांधी की जाति को नेहरू परिवार की परंपरा से जोड़कर देखा जाए या उनके पिता फिरोज गांधी की पारसी पहचान से। फिरोज गांधी के पारसी होने के कारण इस विषय में पारसी और हिंदू परंपराओं के बीच टकराव की भी बात की जा रही है।

फिरोज गांधी की कब्र का इंतजार

राहुल गांधी के पारिवारिक इतिहास में उनके दादा फिरोज गांधी की कब्र की कहानी भी एक अहम विषय है। फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को हुआ था, और उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से किया गया था, जबकि कुछ पारसी परंपराओं का भी पालन किया गया। प्रयागराज में स्थित उनकी कब्र पिछले 15 सालों से देखभाल के अभाव में जर्जर हो चुकी है। हालांकि, परिवार के कुछ सदस्य कभी-कभी वहां आए हैं, लेकिन फिरोज गांधी की कब्र अब भी सूनी और उपेक्षित पड़ी है।

राहुल गांधी का आरक्षण पर रुख और राजनीतिक प्रभाव

आरक्षण के मुद्दे पर राहुल गांधी का बयान न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि पूरे देश की राजनीति में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। आरक्षण को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने राहुल पर हमला तेज कर दिया है। वहीं, जाति और आरक्षण को लेकर उनकी बयानबाजी ने उन्हें एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा के केंद्र में ला दिया है।

इस तरह, राहुल गांधी के बयान और उनके पारिवारिक इतिहास के बीच जाति और धर्म के सवालों ने भारतीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *