-
मुख्य बिंदु:
- डीएम सविन बंसल की पहल पर ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ के तहत गरीब, अनाथ और असहाय
- बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा और कौशल विकास का अवसर।
- ड्रॉपआउट बालिकाओं को स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षित किया जाएगा।
- परिवार की आर्थिक तंगी या त्रासदी के कारण शिक्षा बाधित नहीं होगी।
- जनता दरबार और बहुद्देशीय शिविरों के माध्यम से योग्य बालिकाओं का चयन किया जाएगा।
- शिक्षा से जुड़ी आर्थिक सहायता सीधे स्कूल या बालिकाओं के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की जाएगी।
बालिकाओं के भविष्य को मजबूत करेगा ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने गरीब, अनाथ और असहाय बालिकाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के लिए ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ शुरू किया है। यह योजना विशेष रूप से उन बालिकाओं के लिए बनाई गई है, जो पारिवारिक असहायता या आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पातीं।
इस योजना के तहत अब तक 30 बालिकाओं का चयन कर लिया गया है, जिनमें से 6 बालिकाओं की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। जल्द ही इन्हें डीएम द्वारा आर्थिक सहायता राशि वितरित की जाएगी।
कैसे होगा चयन?
बालिकाओं का चयन निम्नलिखित माध्यमों से किया जाएगा:
- जनता दरबार और बहुद्देशीय शिविरों में प्राप्त आवेदनों के आधार पर।
- जिला प्रोबेशन अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी के अधीन बालिका गृहों में रहने वाली बालिकाओं से।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सर्वेक्षण के माध्यम से।
शिक्षा और कौशल विकास का अवसर
डीएम सविन बंसल पहले भी नैनीताल में डीएम रहते हुए इसी तरह की पहल कर चुके हैं, जहां उन्होंने 60 बालिकाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया था। अब देहरादून में भी यह परियोजना शुरू की गई है, ताकि जरूरतमंद बालिकाओं को कम से कम स्नातक स्तर तक शिक्षा दिलाई जा सके।
इस परियोजना के अंतर्गत:
- स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।
- स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।
- कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा, ताकि रोजगार के अवसर मिल सकें।
कैसे मिलेगी आर्थिक सहायता?
- पात्र बालिकाओं की सूची जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय को भेजी जाएगी।
- जिला टास्क फोर्स की संस्तुति के बाद आर्थिक सहायता स्कूल या संस्थान के बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की जाएगी।
- पुस्तकें, ड्रेस और अन्य आवश्यक खर्चों के लिए राशि सीधे बालिका के बैंक खाते में भेजी जाएगी।
- सभी चयनित बालिकाओं का स्कूल में पुनः प्रवेश जिला प्रशासन सुनिश्चित करेगा।
- बालिकाओं की शिक्षा की निगरानी प्रत्येक तीन महीने में की जाएगी।
बालिकाओं के लिए सुनहरा अवसर
‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ उन बालिकाओं के लिए एक नई रोशनी लेकर आया है, जो आर्थिक तंगी या पारिवारिक समस्याओं के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर थीं। डीएम सविन बंसल की इस पहल से ऐसी बालिकाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
इस योजना का शुभारंभ इसी सप्ताह शनिवार को किया जाएगा, जब पहली बालिका को शिक्षा सहायता राशि प्रदान की जाएगी।