देहरादून से विशेष संवाददाता
देहरादून। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में हाल के दिनों में अतिवृष्टि, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी विपत्तियों ने भारी तबाही मचाई है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को व्यक्तिगत रूप से स्थिति का आकलन करने के लिए देहरादून पहुंचकर राहत अभियानों की गहन पड़ताल की। जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में चल रहे बचाव और पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की, साथ ही प्रभावित परिवारों को सांत्वना प्रदान की। इस दौरान केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 1200 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की, जो तत्कालीन सहायता के रूप में उपलब्ध होगी।
आपदा की भयावहता: 81 मौतें, 94 लापता, व्यापक विनाश
उत्तराखंड में 5 अगस्त से शुरू हुई आपदा श्रृंखला ने राज्य को हिलाकर रख दिया है। उत्तरकाशी के धराली, चमोली के थराली और अन्य जिलों में बादल फटने तथा भूस्खलन से सैकड़ों घर-दुकानें ध्वस्त हो गईं, सड़कें कट गईं और सार्वजनिक संपत्ति को करोड़ों का नुकसान हुआ। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 81 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 94 अन्य अभी भी लापता हैं। सैकड़ों ग्रामीण राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी ने चुनौतियां बढ़ा दी हैं।
केंद्र की त्वरित प्रतिक्रिया: हवाई सर्वेक्षण रद्द, लेकिन जमीन पर मजबूत कदम
मौसम की खराबी के कारण प्रस्तावित हवाई सर्वेक्षण रद्द होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर ही विस्तृत चर्चा की। उन्होंने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा तथा सांसदों—महेन्द्र भट्ट, अजय भट्ट, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, अनिल बलूनी, माला राज्य लक्ष्मी शाह, नरेश बंसल और कल्पना सैनी—के साथ विचार-विश्लेषण किया। मुख्य सचिव आनंद बर्धन और पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) तथा अन्य विभागों के कर्मियों के साहस की प्रशंसा की। उन्होंने लगभग 57 ‘आपदा वीरों’ और 22 प्रभावित परिवारों से भेंट की, जहां पीड़ितों ने अपनी व्यथा सुनाई। एक ग्रामीण, कामेश्वरी देवी ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने बेटे को खो दिया, लेकिन प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता से उन्हें नई उम्मीद मिली। ग्राम प्रधान अजय नेगी ने गांव के पुनर्वास, रोजगार और किसानों के ऋण माफी की मांग रखी, जिस पर पीएम ने सकारात्मक आश्वासन दिया।
राहत पैकेज की रूपरेखा: मृतकों को 2 लाख, घायलों को 50 हजार
प्रधानमंत्री की घोषणा के तहत 1200 करोड़ रुपये का पैकेज मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये, घायलों को 50 हजार रुपये तथा अनाथ बच्चों के लिए विशेष सहायता सुनिश्चित करेगा। यह राशि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अग्रिम सहायता है, जबकि केंद्रीय टीमों की रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त फंडिंग का ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “केंद्र का सहयोग अभूतपूर्व रहा है। प्रभावित इलाकों में सड़कों का निर्माण और बुनियादी ढांचे की बहाली युद्ध स्तर पर हो रही है।”
मुख्यमंत्री का आभार: पीएम की संवेदनशीलता से मजबूत हुआ राज्य-केंद्र संबंध
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में राज्य में हुई क्षति का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि केंद्र के संगठनों की मदद से राहत सामग्री त्वरित रूप से वितरित की गई। धामी ने कहा, “प्रधानमंत्री जी का उत्तराखंड से गहरा लगाव है। उन्होंने खुद आकर पीड़ितों का दर्द बांटा। राहत पैकेज के लिए उत्तराखंड की जनता की ओर से हृदय से आभार।” यह दौरा राज्य-केंद्र सहयोग का प्रतीक बन गया, जो आपदा प्रबंधन में नया मानक स्थापित कर रहा है।
भविष्य की चुनौतियां: पुनर्निर्माण में केंद्र की भूमिका
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि नुकसान का पूर्ण आकलन हो और लंबी अवधि की योजनाएं तैयार की जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार, भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी समाधान के लिए जल संरक्षण और जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचे पर जोर दिया जाएगा। राज्य सरकार ने पहले ही दिन से केंद्र के साथ समन्वय स्थापित किया है, जिससे बचाव कार्यों में सफलता मिली।
इस दौरे ने न केवल तात्कालीन राहत दी, बल्कि प्रभावितों में आत्मविश्वास जगाया। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम हिमालयी राज्यों के लिए एक मिसाल है, जहां प्राकृतिक आपदाएं बार-बार चुनौती पेश करती हैं।