उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी: कैबिनेट से मिली मंजूरी
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड पहला राज्य बनेगा: पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने वाला पहला राज्य बनने की तैयारी।
- कैबिनेट की मंजूरी: यूसीसी की नियमावली को मंत्रिमंडल ने दी स्वीकृति।
- लागू होने की संभावित तारीख: गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) या 28 जनवरी को यूसीसी लागू होने की संभावना।
- अधिकारियों की तैयारी: अधिकारियों को कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- कैबिनेट की बैठक में बड़ा निर्णय
उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की नियमावली को स्वीकृति दे दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया, जो प्रदेश में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है। यूसीसी लागू होने के बाद राज्य में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा।
कानून लागू करने की दिशा में अंतिम कदम
वर्तमान में प्रदेश में नगर निकाय चुनावों के कारण आचार संहिता लागू है, जो 25 जनवरी को समाप्त हो जाएगी। इसके तुरंत बाद, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर, यह कानून उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है। इसके अलावा, 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे के दौरान इसे लागू करने की संभावना भी जताई जा रही है।
अधिकारियों को प्रशिक्षण
सरकार ने यूसीसी लागू करने के बाद सुचारु कार्यान्वयन के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। यह प्रशिक्षण सुनिश्चित करेगा कि कानून को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सके और इसका लाभ अधिकतम लोगों को मिले।
सीएम धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम प्रदेश की जनता से किया गया वादा और सरकार का संकल्प है। उन्होंने कहा:
“यूसीसी लागू होने से राज्य में बड़ा बदलाव आएगा। देवभूमि उत्तराखंड से शुरू होने वाली यह गंगा पूरे देश में बहेगी।”
सीएम धामी ने इस कानून को सबके लिए समान अधिकार प्रदान करने वाला और समाज को जोड़ने वाला बताया।प्रधानमंत्री मोदी का दौरा और राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को देहरादून आएंगे। वे यहां 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ करेंगे। इसी अवसर पर यूसीसी लागू होने की भी घोषणा की जा सकती है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड: एक क्रांतिकारी कदम
यूसीसी का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय स्थापित करना है। इसमें सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों का प्रावधान होगा, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो। इस कदम को उत्तराखंड की जनता के लिए ऐतिहासिक बताया जा रहा है।