संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा और जनगीतों के माध्यम से जागरूकता
देहरादून: संविधान दिवस के अवसर पर उत्तराखंड इंसानियत मंच और जन संवाद समिति ने मंगलवार को देहरादून के दीन दयाल पार्क के बाहर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा की गई और संविधान से संबंधित जनगीत प्रस्तुत किए गए। इस आयोजन में विभिन्न संगठनों ने सक्रिय भागीदारी की।
संविधान: मानव और प्रकृति के संरक्षण का प्रतीककार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने भारत के संविधान को केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि मानवीय और प्रकृति संरक्षण के मूल्यों का प्रतीक बताया।
वक्ताओं ने चिंता जताई कि हाल के वर्षों में संविधान के साथ छेड़छाड़ के प्रयास हुए हैं। साथ ही, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की सराहना की, जिसमें संविधान की प्रस्तावना से “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्दों को हटाने की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।
प्रस्तावना: संविधान की आत्मा
वक्ताओं ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्द भले बाद में जोड़े गए हों, लेकिन ये संविधान की आत्मा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें हटाने संबंधी याचिकाओं को “अनावश्यक” बताते हुए खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती धर्म, जाति और क्षेत्रीय राजनीति संवैधानिक मूल्यों के लिए घातक है। ऐसे में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ढांचे की रक्षा के लिए आम जनता को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।
संविधान की प्रस्तावना का पाठ और जनगीत
इस अवसर पर उत्तराखंड इंसानियत मंच ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ करवाया। जन संवाद समिति के सदस्य सतीश धौलाखंडी ने संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाले जनगीत प्रस्तुत किए।
विशेष प्रतिभागी
इस आयोजन में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने भाग लिया। इनमें उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, भारत जन विज्ञान समिति के कमलेश खंतवाल, सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, इप्टा के विक्रम पुंडीर, किसान सभा के सुरेंद्र सजवाण, पीपुल्स फोरम के जयकृत कंडवाल, पत्रकार गुणानंद जखमोला और अन्य एक्टिविस्ट शामिल थे।