नर्स: सेवा और समर्पण का प्रतीक
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय ने नर्सों को मानवता के असली रक्षक बताते हुए कहा कि नर्सिंग केवल एक पेशा नहीं बल्कि एक मिशन है – सेवा, सहानुभूति और समर्पण का।
डॉ. सुजाता ने कहा, “मरीज को ठीक करने में डॉक्टर से ज्यादा योगदान नर्सों का होता है। उनका योगदान 60%, जबकि डॉक्टर का 40% होता है।” उनके अनुसार, नर्स मरीजों की न केवल दवा से, बल्कि आत्मीयता और विश्वास से भी सेवा करती हैं।
हर मुश्किल घड़ी में सबसे पहले नर्स होती है साथ
जब मरीज दर्द, डर और बेबसी में होता है, तब सबसे पहले उसकी देखभाल करने वाली नर्स होती है। चाहे इमरजेंसी हो या आधी रात को बीप करती मशीन – नर्स हमेशा सतर्क रहती हैं। वे मरीज की हर छोटी-बड़ी जरूरत को बिना थके पूरा करती हैं।
नर्स: मरीज और डॉक्टर के बीच सेतु
डॉ. सुजाता ने कहा, “नर्स ही वह कड़ी है, जो डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद का पुल बनती है। डॉक्टर इलाज का रास्ता दिखाता है, लेकिन उस राह पर मरीज को चलाने का कार्य नर्स करती है।”
वे न केवल शारीरिक देखभाल करती हैं, बल्कि मरीज का आत्मबल भी बढ़ाती हैं – मुस्कुराकर, भरोसा दिलाकर, और अपने काम में समर्पण दिखाकर।
नर्सिंग में अपार संभावनाएं
उन्होंने कहा कि नर्सिंग उन युवाओं के लिए बेहतरीन करियर है जो सेवा और समाज कल्याण को अपने जीवन का उद्देश्य बनाना चाहते हैं। हेल्थ केयर सेक्टर में तेजी से बढ़ते अवसरों के बीच नर्सिंग एक स्थायी और सम्मानजनक विकल्प है।
नर्सें: अस्पताल की धड़कन
डॉ. सुजाता ने ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, जनरल वार्ड से लेकर कोविड वार्ड तक नर्सों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “हम डॉक्टर अगर मस्तिष्क हैं, तो आप हृदय हैं। इलाज की दिशा हम दिखाते हैं, लेकिन मरीज को उस राह पर आप चलाती हैं।”
अंत में एक हार्दिक नमन
“नर्सें हमारे अस्पतालों को जीवंत बनाती हैं, लाखों जिंदगियों को छूती हैं। उनकी सेवा निःस्वार्थ होती है। उनके त्याग और समर्पण के लिए हम सभी को उनका आभारी होना चाहिए।”
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर डॉ. सुजाता संजय ने सभी नर्सों को अपनी ओर से सच्चे हृदय से शुभकामनाएं दीं।