महिला ओबीसी आरक्षण से बदल गई सियासी गणित
मसूरी नगर पालिका की अध्यक्ष पद की सीट पहली बार अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है। यह बदलाव कई राजनीतिक दिग्गजों के सपनों को तोड़ता हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस फैसले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
बीजेपी में प्रतिक्रिया: जनता के भरोसे की बात
बीजेपी नेता रजत अग्रवाल, जो अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार माने जा रहे थे, इस आरक्षण के कारण बाहर हो गए हैं। हालांकि, उन्होंने पार्टी के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी, उसके लिए काम किया जाएगा।
बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल और पूर्व पालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल ने विश्वास जताया कि केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के कारण मसूरी पालिका चुनाव में बीजेपी की जीत होगी।
बीजेपी के संभावित महिला उम्मीदवार:
- मीरा सकलानी
- नर्मदा नेगी
- नमिता कुमाई
- मनीषा खरोला
- सरीता पंवार
कांग्रेस का आरोप: आरक्षण बीजेपी की चाल
कांग्रेस ने इस आरक्षण को बीजेपी का चुनावी षड्यंत्र करार दिया। पूर्व पालिका अध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल और मेघ सिंह कंडारी ने कहा कि बीजेपी को कांग्रेस की जीत का डर था, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया।
कांग्रेस के संभावित महिला उम्मीदवार:
- गीता रमोला गुप्ता
- बिनीता कंडारी
- सुनीता भंडारी
- भरोसी रावत
कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने दावा किया कि मसूरी और प्रदेशभर में कांग्रेस की जीत होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार हर वार्ड में जीत का परचम लहराएंगे।
स्थानीय जनता की राय
मसूरी की जनता ने इस बदलाव को शहर के नियोजित विकास के लिए आवश्यक बताया। उनका कहना है कि महिला नेतृत्व से नगर पालिका में भ्रष्टाचार को उजागर करने और उसके खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद है।