उत्तराखंड में जल्द दस्तक देगा मानसून, इस बार सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना

मानसून के समय से पहले पहुंचने की वजह से बारिश की अवधि लंबी रहने के आसार

  • पर्वतीय जिलों में भूस्खलन और चारधाम यात्रा के लिए सतर्कता जरूरी
  • मई में ही उत्तराखंड में सामान्य से 86% अधिक वर्षा दर्ज

समय से पहले मानसून की आमद से बदलेगी उत्तराखंड की मौसमी तस्वीर

देहरादून, 
उत्तराखंड में अगले 10 से 15 दिनों के भीतर मानसून दस्तक देने वाला है, जबकि सामान्य रूप से यह 20 जून के आसपास राज्य में पहुंचता है। मौसम विभाग का मानना है कि केरल में 24 मई को पहुंचा मानसून इस बार तेज़ी से उत्तर की ओर बढ़ रहा है और उत्तराखंड में भी समय से पहले बारिश शुरू हो सकती है।

उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, इस बार मानसून की अवधि लंबी रहने की संभावना है, जिससे पूरे राज्य में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद जताई जा रही है।


बारिश के शुरुआती संकेत और मई का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

  • मई महीने में ही उत्तराखंड में 86% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से कहीं अधिक है।
  • पूरे सीजन की बात करें तो अब तक 36% अधिक बारिश हो चुकी है।
  • इससे न केवल गर्मी से राहत मिली है बल्कि पेयजल संकट और जंगल की आग की घटनाएं भी काफी हद तक टल गई हैं।

वर्षा के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोतों का रिचार्ज होना और जंगलों में आग की घटनाओं में कमी राज्य के लिए सकारात्मक संकेत हैं।


किसानों के लिए मिली-जुली तस्वीर

बारिश भले ही राहत लाई हो, लेकिन कृषि क्षेत्र पर इसका मिश्रित प्रभाव पड़ा है:

  • रुक-रुक कर हो रही बारिश से खेती के कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई है।
  • खेतों में अधिक नमी और अनियमितता के कारण फसलों को नुकसान पहुंच सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह असामान्य बारिश का स्वरूप ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव हो सकता है, जिसके चलते कहीं अधिक तो कहीं बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही।


चुनौतियों से निपटने को प्रशासन सतर्क

मानसून के जल्दी आने और ज्यादा बारिश के अनुमान को देखते हुए प्रशासनिक तैयारी की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।

  • विशेषकर पर्वतीय जिलों में भूस्खलन की आशंका बनी रहती है।
  • चारधाम यात्रा जैसे धार्मिक और पर्यटन कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए सतर्कता और पूर्व तैयारी अनिवार्य हो गई है।
  • जिला प्रशासन को सभी आपदा प्रबंधन उपकरण, राहत सामग्री और अलर्ट सिस्टम पहले ही तैयार रखने होंगे।

मौसम चक्र बदलाव पर विशेषज्ञों की राय

हालांकि मौसम में इन बदलावों को देखकर लोग जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत करते हैं, लेकिन मौसम केंद्र निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि:

“पूर्व में भी कई बार मानसून समय से पहले आया है। इसलिए यह कहना कि मौसम चक्र में स्थायी बदलाव हो रहा है, फिलहाल उचित नहीं होगा।”

उत्तराखंड के लिए यह मानसून सीजन एक तरफ राहत तो दूसरी ओर चुनौती लेकर आ रहा है। जहां बारिश से पेयजल संकट और तापमान में कमी की उम्मीद की जा रही है, वहीं भूस्खलन, फसल नुकसान और यात्रा व्यवधान जैसी समस्याएं प्रशासन के सामने होंगी। ऐसे में सरकार और जनता दोनों को इस मानसून के लिए सजग और तैयार रहना जरूरी है।

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