कतर में हमास पर इजरायली हवाई हमले ने मचाई खलबली
दोहा/तेहरान, 17 सितंबर 2025: इजरायल द्वारा कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर 9 सितंबर को किए गए हवाई हमले ने मध्य पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इस हमले को ‘आतंकवाद विरोधी कार्रवाई’ बताने वाले इजरायल के दावे के बावजूद, अरब और इस्लामी देशों में इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। हमले में हमास के वरिष्ठ सदस्यों को निशाना बनाया गया, लेकिन कोई हताहत नहीं होने की खबर है। इस घटना ने मुस्लिम देशों में एकजुटता की बहस छेड़ दी है, जहां ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर मुस्लिम राष्ट्र एकजुट नहीं हुए, तो तुर्की, सऊदी अरब और इराक इजरायल के अगले निशाने पर हो सकते हैं।
पूर्व आईआरजीसी कमांडर का विवादास्पद बयान
ईरान के पूर्व इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) कमांडर मोहसिन रेजई ने एक बयान में दावा किया है कि इजरायल हमास या उसके सहयोगी गुटों को समर्थन देने वाले किसी भी देश पर हमला करने से नहीं हिचकेगा। ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, रेजई ने कहा, “अगर मुस्लिम देश एकजुट नहीं हुए, तो अगली बार तुर्की, इराक और सऊदी अरब की बारी आ सकती है।” उन्होंने इजरायल के हालिया हमलों का हवाला देते हुए—जैसे सीरिया, यमन और ईरान पर कार्रवाई—कहा कि एकमात्र समाधान ‘इस्लामी सैन्य गठबंधन’ का निर्माण है, जो नाटो की तर्ज पर काम करे। रेजई का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और क्षेत्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया।
दोहा में 50 से अधिक मुस्लिम नेताओं की आपात बैठक
कतर के हमले के बाद मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए दोहा में अरब लीग और इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के नेताओं ने 15 सितंबर को आपात शिखर सम्मेलन बुलाया। इस बैठक में सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, तुर्की, मिस्र, जॉर्डन और अन्य 50 से अधिक मुस्लिम देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कतर के अमीर ने उद्घाटन भाषण में इजरायल पर ‘गाजा में बंधकों की अनदेखी’ का आरोप लगाया और क्षेत्रीय एकता की अपील की।
इजरायल पर लगाम लगाने की मांग
बैठक में इजरायल की ‘आक्रामक नीतियों’ की कड़ी निंदा की गई और उसके साथ संबंधों की समीक्षा करने का प्रस्ताव पारित हुआ। कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा, “इजरायल ने सभी सीमाओं को पार कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोहरे मापदंड छोड़कर इजरायल को उसके अपराधों के लिए सजा देनी चाहिए।” वहीं, पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने संयुक्त राष्ट्र से इजरायल को निष्कासित करने और इस्लामी देशों की एक टास्क फोर्स गठित करने की मांग की। तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने हमले को ‘क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा’ बताते हुए चेतावनी दी कि यह पूरे मध्य पूर्व को तबाही की ओर धकेल सकता है।
मुस्लिम देशों में बढ़ी चिंता और एकजुटता की अपील
ईरान ने इस मुद्दे को ओआईसी के समक्ष उठाने की तैयारी की है और एक स्थायी रक्षा तंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला खाड़ी देशों में अमेरिकी संरक्षण पर विश्वास को हिला रहा है। हालांकि, सम्मेलन में कोई ठोस सैन्य कार्रवाई का फैसला नहीं हुआ, लेकिन इजरायल के खिलाफ आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ाने पर सहमति बनी। ईरान और मिस्र जैसे देश ‘इस्लामी नाटो’ की अवधारणा को आगे बढ़ा रहे हैं, जो इजरायल-अमेरिका के खिलाफ एकजुट मोर्चा तैयार कर सकता है।
इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायल ने हमले को ‘हमास के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई’ बताया और कहा कि वह आतंकवादियों को कहीं भी निशाना बनाएगा। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में संघर्ष विराम प्रस्ताव को स्वीकार करने की बात कही, लेकिन हमास पर दबाव बढ़ाने का संकेत दिया। अमेरिका ने हमले का समर्थन किया, लेकिन क्षेत्रीय शांति के लिए वार्ता की अपील की।