बांगलादेश में कैसे बढ़ती जा रही है भारत विरोधी भावना पहले बाढ़ को लेकर गलत सूचना अब ढाका में वीजा सेंटर में हंगामा

बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना हाल के दिनों में बढ़ती जा रही है, जो विभिन्न घटनाओं में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। 26 अगस्त को ढाका के एक भारतीय वीज़ा केंद्र पर हुई घटना इसका ताजा उदाहरण है। स्थानीय लोगों ने वीज़ा प्राप्त करने में देरी और कथित उत्पीड़न के खिलाफ गुस्सा व्यक्त किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

वीज़ा सेंटर पर विरोध प्रदर्शन

ढाका के सतखिरा स्थित भारतीय वीज़ा एप्लीकेशन सेंटर पर सैकड़ों बांग्लादेशियों ने विरोध प्रदर्शन किया। लोग घंटों कतार में खड़े रहने के बावजूद वीज़ा प्राप्त करने में विफल रहे, जिसके बाद उनका गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस के अनुसार, यह विरोध सुबह 10:30 बजे शुरू हुआ और दोपहर 1 बजे तक स्थिति को नियंत्रण में लिया गया। प्रदर्शनकारी वीज़ा प्रक्रिया में देरी से नाराज थे, और उन्होंने नारेबाजी करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की।

बाढ़ को लेकर भारत पर आरोप

इससे पहले, बांग्लादेश के फेनी में स्थानीय लोगों ने त्रिपुरा में गुमती नदी पर बने बांध से पानी छोड़ने के लिए भारत को दोषी ठहराया, जिसके कारण पूर्वी बांग्लादेश में विनाशकारी बाढ़ आई। इस घटना ने भारत विरोधी भावनाओं को और भड़का दिया। बांग्लादेश के कुछ नेताओं ने भारत पर बिना चेतावनी के बांध खोलकर अमानवीयता प्रदर्शित करने का आरोप लगाया, जिससे स्थिति और भी संवेदनशील हो गई।

भारत विरोधी भावना का बढ़ता प्रभाव

बांग्लादेश में भारत के खिलाफ रोष केवल इन घटनाओं तक सीमित नहीं है। शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से यह भावना और अधिक मुखर हो गई है। यह विरोध भारत के प्रति व्यापक असंतोष को दर्शाता है, जिसे विभिन्न मुद्दों जैसे वीज़ा प्रक्रिया में देरी और प्राकृतिक आपदाओं के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।

इन घटनाओं से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में इन मुद्दों को कैसे संभाला जाता है।

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