विधानसभा भर्ती में अनियमितताओं पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

सरकार को तीन हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश

नैनीताल/देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर द्वारा दायर की गई थी, जिसमें विधानसभा में 2000 से 2022 तक चली भ्रष्टाचारपूर्ण भर्तियों पर सवाल उठाए गए हैं।

बैकडोर भर्ती घोटाले पर हाईकोर्ट की नजर

अभिनव थापर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्तियां की जा रही थीं, लेकिन सरकार ने इसे अनदेखा किया। हाल ही में 2016 से की गई भर्तियों को निरस्त करने के लिए एक जांच समिति बनाई गई, लेकिन इससे पहले की भर्तियों पर कोई कदम नहीं उठाया गया। याचिका में मांग की गई है कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में इन भर्तियों की जांच की जाए और दोषियों से सरकारी धन की रिकवरी की जाए।

सरकार की चुप्पी पर सवाल

थापर ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्षों और मुख्यमंत्रियों पर अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। याचिका के अनुसार, नियमों के उल्लंघन कर की गई ये भर्तियां न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के 1974 और उत्तराखंड विधानसभा के 2011 नियमों का भी हनन करती हैं।

बेरोजगार युवाओं की लड़ाई

अभिनव थापर का कहना है कि वह प्रदेश के 12 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को न्याय दिलाने के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को गंभीरता से लिया है और 28 फरवरी 2024 तक इस पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है।

हाईकोर्ट का कड़ा रुख

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने इस मामले को गंभीर मानते हुए विधानसभा और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वे भ्रष्टाचार से संबंधित तथ्यों और रिकॉर्ड को पेश करें। 6 फरवरी 2023 को सरकार द्वारा जारी शासनादेश में माननीयों से रिकवरी और अन्य कानूनी प्रावधानों का उल्लेख किया गया था, लेकिन कई महीनों बाद भी सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को

अदालत ने सरकार को तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2024 को निर्धारित की गई है।

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