विरासत महोत्सव 2024: सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उत्सव

देहरादून के डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रांगण में चल रहा विरासत महोत्सव 2024 सांस्कृतिक धरोहर और भारतीय परंपराओं का जीवंत उत्सव है। इस महोत्सव के तीसरे दिन, विभिन्न शिल्प कार्यशालाओं से लेकर शास्त्रीय संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। गोवा, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के लोक कलाकारों की प्रस्तुति ने इस महोत्सव की भव्यता को और बढ़ाया।

शिल्प कार्यशाला में बच्चों ने सीखा ब्रेसलेट बनाना

महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत क्राफ्ट वर्कशॉप से हुई। इस कार्यशाला में दून इंटरनेशनल स्कूल की छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे धागों और सजावट सामग्रियों से हैंड ब्रेसलेट और अन्य हस्तशिल्प बनाना सीखा। इस वर्कशॉप में बच्चों ने बड़ी उत्सुकता के साथ भाग लिया और अपने नन्हें हाथों से सुंदर कलाकृतियों का निर्माण किया।

कार्यशाला का मुख्य आकर्षण पांच वर्षीय अनायशा रही, जिसने अपने नन्हें हाथों से वेस्ट मटेरियल से खूबसूरत ब्रेसलेट बनाकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा, देवांशु जायसवाल, प्रेरणा सोनेशा और अनीशा जैसी छात्राओं ने भी अपने क्रिएटिव आर्ट के जरिए सभी को प्रभावित किया। इस शिल्प कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों में कला और शिल्प के प्रति रुचि बढ़ाना और उनकी रचनात्मकता को निखारना था।

सांस्कृतिक संध्या में शास्त्रीय संगीत का जादू

सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत भारतीय शास्त्रीय संगीत से हुई। प्रसिद्ध सितार वादक अवनीन्द्र शियोलीकर ने अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए राग यमन में आलाप, जोड़ और झाला की प्रस्तुति दी। उनकी तबले पर संगत शुभ महाराज ने की। सितार की मधुर ध्वनियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, और संगीत प्रेमियों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान किया। अवनीन्द्र की प्रस्तुति ने श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत की गहराई में डूबने का अवसर दिया।

गोवा के लोक कलाकारों की जोशीली प्रस्तुतियां

सांस्कृतिक संध्या का अगला आकर्षण गोवा के लोक कलाकारों की शानदार प्रस्तुति रही। गोवा के कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य और संगीत से मंच पर धूम मचा दी। एल्विस गोज़ और उनके संगीत समूह ने गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सामने लाते हुए कोंकणी और हिंदी के गीतों की प्रस्तुति दी।

गोवा के श्री गुरु कला मंडल ने अपनी पारंपरिक लोक कला का प्रदर्शन करते हुए नृत्य और संगीत के माध्यम से दर्शकों को गोवा की लोक संस्कृति की झलक दिखाई। इस नृत्य में गोवा के लोक नृत्य फुगड़ी और ढालो का प्रदर्शन किया गया, जो दर्शकों के लिए एक रोमांचक अनुभव था।

एल्विस गोज़ ने अपने बैंड के साथ मिलकर गोवा के पारंपरिक संगीत को आधुनिक पॉप संगीत के साथ मिश्रित करते हुए “विरासत फेस्टिवल” गीत पेश किया, जिसने दर्शकों को गोवा की उत्सवधर्मिता और सांस्कृतिक विविधता की झलक दिखाई। उनकी प्रस्तुति में गोवा के पारंपरिक नृत्य देखनी नृत्य और कुनबी नृत्य को भी शामिल किया गया, जो दर्शकों को गोवा की जीवंत संस्कृति से जोड़ने में सफल रहा।

विशेष आकर्षण: अफगानी ड्राई फ्रूट्स की शॉप

विरासत महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की दुकानें भी आकर्षण का केंद्र बनीं। इनमें से एक खास आकर्षण अफसाना द्वारा संचालित ड्राई फ्रूट्स की शॉप रही। यहां पर मिलने वाले विशेष अफगानी ड्राई फ्रूट्स ने लोगों का ध्यान खींचा।

दुकान में शिलाजीत (25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम) और असली केसर (5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम) जैसे महंगे और दुर्लभ ड्राई फ्रूट्स की बिक्री हो रही थी। यह शॉप न केवल महंगे उत्पादों के लिए बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुणों के लिए भी चर्चित रही। महोत्सव में आए लोग इस शॉप से स्वास्थ्यवर्धक ड्राई फ्रूट्स खरीदने में रुचि दिखा रहे थे।

विरासत महोत्सव की लोकप्रियता

विरासत महोत्सव ने पहले ही कुछ ही दिनों में लोगों के बीच खासा लोकप्रियता हासिल कर ली है। इसमें न केवल स्थानीय कलाकार बल्कि देशभर से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से महोत्सव की शोभा बढ़ाई है। गोवा के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने इस महोत्सव को और भी खास बना दिया है। महोत्सव के आयोजकों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी बेहतरीन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की उम्मीद की जा सकती है।

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