स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025: भारत का पहला लेखक गांव बनेगा वैश्विक केंद्र
देहरादून, 30 अक्टूबर 2025: **उत्तराखंड के **देहरादून के **थानो स्थित **भारत के प्रथम “लेखक गांव” में 3 से 5 नवंबर को स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025 का भव्य आयोजन होगा। यह तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय समारोह भारतीय साहित्य, संस्कृति, कला और हिंदी भाषा के वैश्विक प्रसार को समर्पित है। **डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के संरक्षण में स्पर्श हिमालय फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस महोत्सव में 60+ देशों से साहित्यकार, कलाकार, शिक्षाविद, पर्यावरणविद् और युवा रचनाकार भाग लेंगे। हिमालय की गोद में बसा यह गांव सृजनशीलता का वैश्विक मंच बनेगा।
उद्घाटन सत्र: कर्नाटक राज्यपाल के हाथों भव्य शुभारंभ
3 नवंबर को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत उद्घाटन करेंगे। विषय: “भारतीय साहित्य, संस्कृति और कला का वैश्विक विस्तार”। देश-विदेश के साहित्यकार भारतीय परंपराओं पर विचार साझा करेंगे। पद्मश्री कैलाश खेर सहित कई हस्तियां प्रस्तुतियां देंगी। शाम को नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान संस्थान में तारामंडल अवलोकन—विज्ञान, संस्कृति और प्रकृति का अनोखा संगम।
दूसरा दिन: हिंदी विश्वभाषा और सांस्कृतिक संवाद
4 नवंबर को मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह शिरकत करेंगे। केंद्र: “हिंदी को विश्वभाषा बनाने का संकल्प”, “भारतीयता का सांस्कृतिक दर्शन” और “नवोदित लेखकों की दृष्टि”। युवा रचनाकारों को मंच। शाम: दून सांस्कृतिक स्कूल झाझरा के आदिवासी लोकनृत्य-गीत। स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय का नाट्य प्रदर्शन।
समापन: सीएम-राज्यपाल की मौजूदगी में सम्मान समारोह
5 नवंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्ट. जनरल गुरमीत सिंह समापन करेंगे। साहित्य-कला-पर्यावरण में योगदानकर्ताओं को सम्मान। पद्मभूषण जतीन दास, छायाकार त्रिलोक कपूर और कलाकार आदित्य नारायण का कला सत्र।
डॉ. निशंक: “भारतीय ज्योति का वैश्विक प्रकाशन”
लेखक गांव संरक्षक डॉ. निशंक ने कहा, “यह महोत्सव भारत की आत्मा और सृजन का वैश्विक उत्सव है। हिंदी को विश्व भाषा बनाना और नव लेखकों को मंच देना हमारा लक्ष्य।” गांव में 50 बीघा में 12+ कुटीर, नालंदा पुस्तकालय (1 लाख पुस्तकें), संजीवनी वाटिका—सृजन का आदर्श वातावरण。
लेखक गांव: अटल जी की प्रेरणा से जन्मा स्वप्न
अटल बिहारी वाजपेयी की पीड़ा से प्रेरित यह गांव साहित्यकारों का तीर्थ। 2024 में उद्घाटन, 65+ देशों ने हिस्सा लिया। 2025 संस्करण और भव्य।