विरासत महोत्सव में गढ़वाली लोकगीतों का जलवा

मुख्य आकर्षण

  • गढ़वाली लोकगीतों और शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया।
  • पैनल डिस्कशन में पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत

देहरादून में विरासत महोत्सव के अवसर पर विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्र-छात्राओं ने तबला, गिटार, हारमोनियम आदि पर शानदार प्रस्तुति दी। इसमें आरएएन पब्लिक स्कूल के एकास भाटिया, द एशियन स्कूल के अर्णव खंडूरी, सेंट कबीर एकेडमी के लोकेश प्रकाश, दून यूनिवर्सिटी की कनक थपलियाल आदि ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

एकल-उपयोग प्लास्टिक पर जागरूकता

मसूरी रोड स्थित डीआईटी में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में पर्यावरणविद् लोकेश ओहरी ने कहा कि पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। प्लास्टिक के अति उपयोग से पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है। पैनल में आईआईटी रुड़की के डॉ. के. के. गायकवाड, डीआईटी की डॉ. एकता और अन्य विशेषज्ञों ने प्लास्टिक के दुष्प्रभावों पर चर्चा की।

गढ़वाली संगीत की प्रस्तुति

विरासत महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या में गढ़वाली लोकगीतों की धूम रही। नव ज्योति संस्था ने गढ़वाली गीतों की शुरुआत गढ़ वंदना से की, जिसके बाद थड़िया, चौफला, रांसू आदि प्रस्तुतियां हुईं। ढोलक पर सुमित गुसाईं, सचिन वर्मा और कीबोर्ड पर अखिल मैंदोला ने लोकसंगीत को जीवन्त बना दिया। गायक प्रदीप असवाल, सुनील कोढियाल, रेनू बाला और सुनंदा ने अपनी आवाज से समां बांध दिया।

जवाद अली खान की शास्त्रीय प्रस्तुति

विख्यात गायक जवाद अली खान ने राग बिहाग से शुरुआत करते हुए अपने शास्त्रीय संगीत से दर्शकों को मोहित कर दिया। उनके साथ तानपुरा पर डॉ. दीपक वर्मा और अंगद सिंह ने संगत की, जबकि तबले पर पंडित शुभ महाराज ने साथ दिया। जवाद अली खान, जो बड़े गुलाम अली खान के वंशज हैं, ने अपने दादा की खयाल और ठुमरी गायकी को नये अंदाज में पेश किया।

नेवी बैंड की प्रस्तुति

रीच संस्था के सहयोग से नेवी बैंड ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त कमोडोर गौतम नेगी ने नौसेना के इतिहास और योगदान पर प्रकाश डाला। बैंड ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंगल धुन से की और उत्तराखंड के लोकगीतों के साथ-साथ बॉलीवुड गानों पर भी प्रस्तुति दी।

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