हरिद्वार में गंगा जल की गुणवत्ता बी श्रेणी में: स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय

स्नान योग्य लेकिन पीने के लिए असुरक्षित

हरिद्वार: गंगा नदी, जिसे भारतीय संस्कृति में माँ का दर्जा प्राप्त है, अब जल प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार में गंगा जल की गुणवत्ता बी श्रेणी में आंकी गई है। इसका मतलब है कि यह पानी स्नान के लिए उपयुक्त है, लेकिन पीने के लिए असुरक्षित।

जल गुणवत्ता की नियमित जांच

  • उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने 12 स्थानों पर गंगा जल की जांच करता है।
  • हर की पौड़ी, जप्सुर, और दूधियावन जैसे स्थानों पर जल गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है।
  • गंगा में घुलित ऑक्सीजन (बीओडी) और फीकल कॉलिफॉर्म के स्तर मानकों के अनुरूप पाए गए, लेकिन जल पीने योग्य नहीं है।

प्रदूषण के मुख्य कारण

  1. अनुपचारित सीवेज:
    • हरिद्वार में सीवेज का बड़ा हिस्सा गंगा में बहाया जाता है।
    • शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे।
  2. कचरा:
    • कांवड़ मेले के दौरान गंगा किनारे लगभग 11,000 मीट्रिक टन कचरा छोड़ा गया।
    • यह कचरा गंगा में मिलकर जल की गुणवत्ता को और खराब करता है।
  3. नहर का जल प्रवाह:
    • गंगा नहर का जल मुख्य धारा में मिलकर जल प्रदूषण को बढ़ा रहा है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

डॉ. संदीप निगम (वरिष्ठ चिकित्सक, हरिद्वार महिला अस्पताल) ने बताया:

  • जलजनित बीमारियाँ: बी श्रेणी का गंगा जल पीने से पेट की बीमारियाँ जैसे दस्त, टाइफॉयड, और गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो सकती हैं।
  • त्वचा रोग: अशुद्ध जल से त्वचा संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
  • आचमन या जल ग्रहण से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

गंगा जल को शुद्ध बनाने के प्रयास

  1. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का विस्तार:
    • नए संयंत्र लगाने और मौजूदा संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने पर काम हो रहा है।
  2. नालों का नियंत्रण:
    • गंगा में गिरने वाले अनुपचारित सीवेज और नालों के जल को रोकने की योजना।
  3. जागरूकता अभियान:
    • गंगा के किनारे कचरा फैलाने से रोकने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय

गंगा जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। न केवल जल शोधन की दिशा में बल्कि जनता को गंगा के संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी जरूरी है। यदि प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो गंगा की शुद्धता को फिर से प्राप्त किया जा सकता है।

हरिद्वार में गंगा जल स्नान योग्य तो है, लेकिन पीने योग्य नहीं। जल में सीवेज, कचरा और नहर का प्रवाह इसकी गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। इसे शुद्ध बनाने के लिए सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सतत प्रयास करने होंगे।

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