जल संकटग्रस्त जिलों में सुधार की योजना
देहरादून: उत्तराखंड में अटल भूजल योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के नेतृत्व में राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी जल संकटग्रस्त जिलों – चम्पावत, हरिद्वार और उधमसिंह नगर में जल बजटिंग और स्थानीय कार्यक्रमों की देखरेख करेगी। इसके साथ ही विभिन्न राज्य एजेंसियों के बीच भूजल प्रबंधन के समन्वय को सुनिश्चित करेगी।
लघु सिंचाई विभाग नोडल एजेंसी
मुख्य सचिव ने लघु सिंचाई विभाग को नोडल विभाग के रूप में नियुक्त करते हुए पेयजल और स्वच्छता, शहरी विकास, पंचायती राज, सिंचाई, ग्राम्य विकास विभाग और स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण को कमेटी में शामिल करने का निर्देश दिया है। यह कमेटी मासिक समीक्षा करेगी और जल संकट से निपटने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेगी।
सामुदायिक नेतृत्व से होगा भूजल प्रबंधन
अटल भूजल योजना के तहत सामुदायिक नेतृत्व और भागीदारी पर जोर देते हुए राधा रतूड़ी ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। जल संकटग्रस्त जिलों में ‘कैच द रेन’, ‘अमृतसरोवर’, और स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजूविनेशन जैसी गतिविधियों को भी इस योजना के साथ जोड़ा जाएगा।
जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान की तैयारी
मुख्य सचिव ने स्थानीय निकायों को मास्टर ट्रेनर्स नामित करने का निर्देश दिया, जो वाटर प्लान और बजटिंग में सहायता करेंगे। इन मास्टर ट्रेनर्स का उद्देश्य समुदायों को जल बजट और जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी और क्रियान्वयन में शामिल करना है। इसके अलावा, वाटर यूजर एसोसिएशन का गठन और भूजल आंकड़ों की निगरानी भी की जाएगी।
डिजिटल तकनीक और डेटा संग्रहण पर ध्यान
योजना के तहत जल संबंधी डेटा के संग्रहण और उपयोग को बढ़ाने के लिए डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (DWLR), वाटर लेवल साउंडर, रेन गेज और वाटर फ्लो मीटर जैसे उपकरण लगाए जाएंगे। इसके साथ ही, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत सतही और भूजल के लिए रियल टाइम डेटा अधिग्रहण प्रणाली (RTDAS) की भी स्थापना की जाएगी, जिससे जल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस योजना के माध्यम से समुदायों में जल संरक्षण के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे जल संकट का समाधान किया जा सकेगा।