तीन दशकों का शानदार सफर संपन्न, विरासत ने बांधा समां
देहरादून, 19 अक्टूबर 2025: रीच संस्था द्वारा आयोजित 15 दिवसीय विरासत महोत्सव का आज शनिवार को भव्य समापन हुआ, जो पिछले तीन दशकों से सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है। ओएनजीसी के डॉ. अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित इस उत्सव ने देश-विदेश के मशहूर शास्त्रीय संगीतकारों और कलाकारों की प्रस्तुतियों से एक यादगार छाप छोड़ी। इस बार भी भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में नाम रोशन करने वाले कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से महोत्सव को चार चांद लगा दिए। समापन समारोह में कई लोगों की आंखें नम हुईं, तो कुछ भावुक होकर इस शाही विरासत के अलविदा को निहारते रहे। धनतेरस की रौनक और दीपावली की तैयारियों के बीच स्टेडियम मेहमानों से गुलजार रहा, जहां खरीदारी और सांस्कृतिक माहौल ने उत्सव को और जीवंत बनाया।
कथक नृत्य और शास्त्रीय संगीत की शानदार प्रस्तुति
नयनिका घोष का कथक नृत्य ने मोहा मन
समापन समारोह का आकर्षण रही कथक नृत्यांगना नयनिका घोष, जिन्होंने अपनी अनूठी शैली और शास्त्रीय नृत्य के प्रति समर्पण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पांच वर्ष की उम्र से रानी कर्ण, पंडित विजय शंकर, पंडित चित्रेश दास और बाद में पंडित बिरजू महाराज के सान्निध्य में प्रशिक्षण लेने वाली नयनिका ने समकालीन, जैज़ और बैले शैलियों का भी समावेश अपनी कला में किया है। कलकत्ता विश्वविद्यालय से साहित्य और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से नृत्य में स्नातकोत्तर, वर्तमान में पीएचडी कर रही नयनिका कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। निनाद फाउंडेशन की संस्थापक के रूप में उन्होंने कोलकाता और गुड़गांव में शास्त्रीय नृत्य और संगीत को बढ़ावा देने का कार्य किया। उनके नृत्य में तबले पर शुभ महाराज, स्वर में जकी अहमद, सितार पर लावण्य कुमार और पखावज पर मन्यक भट्टाचार्य की संगत ने प्रस्तुति को और समृद्ध बनाया।
मनोज तिवारी के भोजपुरी गीतों ने बांधा जादू
सांसद का संगीत ने झूम उठी महफिल
समापन की शाही शाम में मशहूर अभिनेता, भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनके गीतों ने विरासत महोत्सव की महफिल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मनोज ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत भक्ति वंदना “निमिया की डाली मैया झूली झूली न” से की, जिसके बाद “ए राजा जी ए करे त रहलबा जरूरी महूरत खूबसूरत हो” जैसे लोकप्रिय गीतों ने हजारों दर्शकों को दीवाना बना दिया। उनके साथ गायकों में मृदुल, दिवेंद्र महाराज और सृष्टि सिन्हा ने सुंदर संगत की, जबकि तबले पर दीपक सिंह, ढोलक पर मोती लाल शर्मा, बैंजो पर शंकर वर्मा, कीबोर्ड पर किशोर वत्स, ऑक्टापैड पर दीपक पाराशर और तालवाद्य/प्रकाशन पर प्रभुनाथ राय ने प्रस्तुति को जीवंत बनाया। कुल नौ कलाकारों की इस टीम ने एक मधुर और ऊर्जावान प्रदर्शन पेश किया।
मनोज तिवारी का बहुआयामी व्यक्तित्व
मनोज तिवारी मनोरंजन और राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। भोजपुरी संगीत से अपनी पहचान बनाने वाले मनोज ने कई हिट गीतों और फिल्मों के जरिए उत्तरी भारत में सांस्कृतिक क्रांति लाई। उनके गीत और फिल्में एक सांस्कृतिक घटना बन गए, जो भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले गए। मनोरंजन के बाद राजनीति में कदम रखते हुए वे वर्तमान में लोकसभा के सांसद हैं, जहां उनकी लोकप्रियता और प्रभाव बरकरार है। उनके प्रदर्शन ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी, जो विरासत महोत्सव के समापन को और यादगार बनाया।
भावनात्मक विदाई और विरासत की विरासत
समापन समारोह में विरासत महोत्सव के 30 साल के सफर को याद करते हुए कई लोगों की आंखें नम हो गईं। यह उत्सव न केवल सांस्कृतिक प्रदर्शनों का मंच रहा, बल्कि समुदाय को एकजुट करने का प्रतीक भी बना। धनतेरस और दीपावली की तैयारियों के बीच मेहमानों ने खरीदारी और सांस्कृतिक गतिविधियों का आनंद लिया। रीच संस्था ने इस आयोजन को शाही अंदाज में संपन्न कराया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।