चमोली, 10 अक्टूबर 2025 उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और हिंदू धर्म के प्राचीन स्थल लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट शुक्रवार दोपहर 1 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बर्फ से सफेद चादर ओढ़े धाम में सैनिक बैंड की मधुर धुनों के बीच अंतिम अरदास और पूजन के साथ यह समापन हुआ। इस वर्ष यात्रा 139 दिनों तक चली, जिसमें 2 लाख 72 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बर्फबारी के बावजूद 1,500 से अधिक भक्त अंतिम क्षणों में मौजूद रहे। गुरुद्वारा प्रबंधन ट्रस्ट के मुख्य कार्याधिकारी सरदार सेवा सिंह ने बताया कि यह यात्रा आस्था और धार्मिक धरोहर की महिमा को नई ऊंचाई देगी। कपाट बंद होने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब जी की प्रतीक शीतकालीन अरदास गोविंदघाट गुरुद्वारे में होगी।
बर्फीले धाम में भावपूर्ण विदाई: सैनिक बैंड की धुनों के बीच अंतिम अरदास
शुक्रवार सुबह 10:30 बजे से कपाट बंदी की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। पंच प्यारों की अगुवाई में गुरु ग्रंथ साहिब जी को सच्चखंड में विराजमान किया गया। दोपहर 1 बजे मुख्य द्वार बंद हो गए। अमृतसर के खजूरी रागी जत्थे मनिंद्र सिंह ने शबद कीर्तन प्रस्तुत किया, जबकि गढ़वाल स्काउट और पंजाब के पूर्व सैनिक बैंड ने धुनें बजाईं। लोकपाल लक्ष्मण मंदिर में भी अभिषेक पूजन के बाद कपाट बंद हुए।
धाम में दो फीट से अधिक बर्फ जमी है, और हेमकुंड से अटलाकोटी तक तीन किलोमीटर क्षेत्र बर्फ से ढका है। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने कहा, “1,500 से अधिक यात्री अंतिम उत्सव में शामिल हुए, जिनमें अमेरिका, कनाडा और मलेशिया से भी श्रद्धालु पहुंचे। बर्फबारी ने दृश्य को और मनमोहक बना दिया।” फूलों से सजी धाम में सुखमणि साहिब पाठ के बाद अंतिम अरदास हुई।
यात्रा का सफल समापन: 139 दिनों में 2.72 लाख दर्शन, रिकॉर्डतोड़ आंकड़ा
इस वर्ष हेमकुंड साहिब यात्रा 25 मई 2025 को शुरू हुई और 10 अक्टूबर को समाप्त हुई, जो कुल 139 दिनों तक चली। 2 लाख 72 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो पिछले वर्ष के 1.83 लाख से काफी अधिक है। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने कहा, “यह आंकड़ा भक्तों की गहरी निष्ठा और बेहतर प्रबंधन का प्रमाण है। यात्रा शारीरिक चुनौतियों के बावजूद आध्यात्मिक समृद्धि प्रदान करती है।”
लोकपाल लक्ष्मण मंदिर, जो रामायण काल से जुड़ा है, में भी सैकड़ों भक्त अंतिम पूजन में शामिल हुए। बर्फबारी के बावजूद यात्रियों का उत्साह देखते ही बना।
बर्फबारी का खूबसूरत नजारा: धाम की चोटियां सफेद चादर से ढकी
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 6 अक्टूबर से लगातार बर्फबारी हो रही है, जिससे हेमकुंड साहिब की चोटियां बर्फ की मोटी चादर से ढक गई हैं। मौसम सुहावना हो गया है, लेकिन ठंड का प्रकोप बढ़ा है। गोमुख, भोजबासा और तपोवन में ट्रैकिंग पर दो दिनों का प्रतिबंध लगा है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में बर्फबारी जारी रह सकती है। ट्रस्ट ने यात्रियों से गर्म कपड़ों और दवाओं की सलाह दी है।
हेमकुंड साहिब यात्रा का मार्ग: दिल्ली से पैदल ट्रेक तक
हेमकुंड साहिब, दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा (15,000 फुट), चमोली जिले में स्थित है। दिल्ली से पहुंचने के लिए रेल, हवाई या सड़क मार्ग उपलब्ध हैं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) से ऋषिकेश, फिर सड़क से गोविंदघाट। गोविंदघाट से 14 किमी पैदल ट्रेक घांघरिया तक, और वहां से 6 किमी चढ़ाई हेमकुंड तक। हरिद्वार या ऋषिकेश रेल स्टेशन से बसें उपलब्ध हैं। दिल्ली से सीधी बसें भी चलती हैं। ट्रस्ट ने ऑनलाइन बुकिंग और सुरक्षा पर जोर दिया है।
ट्रस्ट का आभार: श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर खुशी
ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने कहा, “यात्रा का सफल समापन आस्था की जीत है। 2.72 लाख दर्शन रिकॉर्ड हैं।” उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने भी बधाई दी। कार्यक्रम में ट्रस्ट सदस्य महेंद्र शर्मा, प्रह्लाद पुष्पवान, देवीप्रसाद देवली, धीरज मोनू पंचभैया, राजेंद्र प्रसाद डिमरी, नीलम पुरी, पूर्व सदस्य भास्कर डिमरी, बद्रीनाथ प्रभारी विपिन तिवारी, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़, सुधाकर बाबुलकर सहित अधिकारी, कर्मचारी, तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी और श्रद्धालु उपस्थित रहे।