- देहरादून।
- आशा कार्यकर्ताओं और पर्यावरण मित्रों की समस्याओं को समझा।
- कार्यों को जिम्मेदारी और गर्व से निभाने का दिया संदेश।
- फील्ड कार्मिकों को नई सुविधाएं देने पर जोर।
पहली बार देहरादून में आशा और फील्ड कार्मिकों से सीधा संवाद
मुख्यमंत्री की प्राथमिकता और जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर देहरादून में पहली बार आशा कार्यकर्ताओं और फील्ड कार्मिकों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों की निगरानी करने वाले फील्ड कार्मिकों की समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना था।
फील्ड कार्मिकों की भूमिका और जिम्मेदारी
जिलाधिकारी ने कहा कि फील्ड कर्मचारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं, जो जमीनी हकीकत को उच्च स्तर तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि इनकी जिम्मेदारी अधिक होती है, खासकर जब बात डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने की होती है। फील्ड कार्मिकों को अपने कार्यों को जिम्मेदारी और विश्वास के साथ करने का निर्देश दिया गया, जिससे वे गर्व से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
आशा कार्यकर्ताओं के लिए सुविधाओं की घोषणा
जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान में कोई देरी न हो। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के लिए अस्पतालों में आशाघर और डोरमेट्री बनाने की योजना पर काम करने का भी आदेश दिया, जिससे दूरदराज से आने वाली महिलाओं और आशा कार्यकर्ताओं को रहने और पानी जैसी सुविधाएं मिल सकें।
फील्ड कार्मिकों की महत्वपूर्ण भूमिका
जिलाधिकारी ने कहा कि फील्ड कर्मचारी हीरो की भूमिका में होते हैं, खासकर स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता रखता है, और फील्ड कार्मिकों की जिम्मेदारी है कि वे क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से उच्च अधिकारियों को अवगत कराएं। इसके साथ ही उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं और नगर निगम के पर्यावरण मित्रों को ड्रेस में रहकर अपनी पहचान बनाए रखने पर बल दिया।
कार्यक्रम में शामिल अधिकारी
इस अवसर पर मुख्य नगर आयुक्त गौरव कुमार, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय जैन, और कई अन्य अधिकारी एवं फील्ड कार्मिक उपस्थित रहे। आशा कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी की पहल का तालियों से स्वागत किया।