देहरादून। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार, देहरादून जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में 14 सितंबर को देहरादून के विभिन्न न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के मामलों, जैसे मोटर दुर्घटना क्लेम, सिविल, पारिवारिक विवाद, चैक बाउन्स, और अन्य शमनीय आपराधिक मामलों का निस्तारण किया गया।
लोक अदालत में कुल 25 पीठों का गठन किया गया, जिसमें 487 शमनीय आपराधिक मामले, 912 चैक बाउन्स मामले, 23 धन वसूली मामले, 42 मोटर दुर्घटना क्लेम, 45 पारिवारिक विवाद, 2627 मोटर वाहन द्वारा अपराधों के मामले और 74 सिविल प्रकृति के मामले शामिल थे। कुल 4210 मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें ₹20,33,80,865 की धनराशि पर समझौता हुआ।
प्रमुख मामलों का निस्तारण:
- देहरादून कोर्ट:
- जिला न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल द्वारा 80 मामले, मनीष मिश्रा द्वारा 26 मामले, और महेश चन्द्र कौशिवा द्वारा 24 मामले निस्तारित किए गए।
- विभिन्न अन्य न्यायिक अधिकारियों द्वारा भी मामलों का निस्तारण किया गया, जैसे धर्मेंद्र शाह द्वारा 325 मामले और संजीव कुमार द्वारा 472 मामले।
- बाह्य न्यायालय:
- विकासनगर, ऋषिकेश, डोईवाला और मसूरी के बाह्य न्यायालयों में भी कई मामलों का निस्तारण किया गया। विकासनगर में नंदन सिंह द्वारा 20 मामले, ऋषिकेश में अजय डुंगराकोटी द्वारा 17 मामले, और डोईवाला में विशाल वशिष्ठ द्वारा 309 मामले निस्तारित किए गए।
प्री-लिटिगेशन मामलों का निस्तारण:
प्री-लिटिगेशन स्तर पर कुल 6648 मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें ₹2,80,31,990 की धनराशि पर समझौते हुए।
लोक अदालत का महत्व:
लोक अदालतें सरल और त्वरित न्याय का एक प्रभावी माध्यम हैं, जहां आपसी समझौते के आधार पर मामलों का निस्तारण किया जाता है। ऐसे मामलों के आदेश अंतिम होते हैं और पक्षकारों को न्याय शुल्क भी वापस कर दिया जाता है।