ऋषिकेश में जनसैलाब: मूल निवास और भू-कानून के लिए प्रदर्शन

हजारों लोगों की भागीदारी

मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर ऋषिकेश में विशाल महारैली का आयोजन किया गया। इस रैली में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से हजारों लोग शामिल हुए। इसका आह्वान मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने किया था, जिसमें विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने हिस्सा लिया।

इंद्रमणि बडोनी को श्रद्धांजलि

रैली की शुरुआत में, समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने उत्तराखंड राज्य निर्माण के नायक इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद जनसभा का आयोजन किया गया, जहां विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। उन्होंने मूल निवासियों के अधिकारों को लेकर चिंता व्यक्त की और राज्य में भू-कानून की जरूरत पर जोर दिया।

राज्य की पहचान और सुरक्षा पर चिंता

मूल निवासियों के अधिकार खतरे में

मोहित डिमरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य, जिसे आंदोलनकारियों की शहादत से हासिल किया गया था, आज अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है। मूल निवासियों को नौकरी और संसाधनों से वंचित किया जा रहा है, जिससे वे अपने ही प्रदेश में दूसरे दर्जे के नागरिक बनते जा रहे हैं।

भू-कानून की मजबूती जरूरी

डिमरी ने कहा कि राज्य में भू-कानून की मजबूती के बिना, जमीनों की बंदरबांट जारी है, जिससे प्रदेश की डेमोग्राफी बदल रही है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य के मूल निवासियों के सामने एक गंभीर पहचान का संकट खड़ा हो सकता है।

भविष्य की योजना

आंदोलन को और व्यापक करने का निर्णय

संघर्ष समिति के अन्य नेताओं ने भी अपने विचार रखे और सरकार को चेतावनी दी कि यदि जनभावनाओं के अनुरूप भू-कानून लागू नहीं हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने जल्द ही अगले चरणों की घोषणा करने की बात कही। समिति ने यह भी कहा कि आंदोलन को घर-घर तक ले जाया जाएगा और प्रदेशभर में स्वाभिमान यात्रा शुरू की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *