संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक: चुनावी रणनीति और जातीय राजनीति पर चर्चा

पल्लकड़ में संघ की वार्षिक बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक समन्वय बैठक 31 अगस्त से केरल के पल्लकड़ में शुरू हुई। इस बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष की उपस्थिति में यह बैठक खास मायने रखती है। बैठक का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं।

मोदी 3.0 और संघ का प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में संघ और बीजेपी के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं ने अपेक्षित उत्साह के साथ काम नहीं किया, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ। बीजेपी प्रमुख नड्डा द्वारा पार्टी को आत्मनिर्भर बताने और आरएसएस पर निर्भर नहीं रहने की टिप्पणी ने इस दूरी को और गहरा कर दिया। अब संघ, आगामी चुनावों में बेहतर परिणाम पाने के लिए समन्वय बढ़ाने की कोशिश में है।

राहुल और अखिलेश की जातीय राजनीति का जवाब

बैठक में जातिगत राजनीति का मुद्दा भी चर्चा में रहा। संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस ने जाति के आधार पर एक “झूठी कहानी” गढ़ी है, जिससे कुछ हद तक जमीनी स्तर पर राहत मिली है। विपक्ष के जातीय राजनीति पर हमला करने के लिए संघ ने विभिन्न हिंदू संगठनों और दबाव समूहों के साथ मजबूत संबंध बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत सामाजिक समरसता अभियान चलाने की योजना है, जिसमें दलितों के मंदिरों और कुओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।

केरल में बैठक का आयोजन: राजनीतिक संकेत

केरल में संघ की बैठक का आयोजन बीजेपी की दक्षिण भारत में पैठ बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। केरल में बीजेपी धीरे-धीरे अपने नेटवर्क को मजबूत कर रही है। इस बैठक को केरल में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने और हिंदुत्व की आवाज को धार देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। केरल में बीजेपी ने हाल के लोकसभा चुनाव में एक सीट जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

बैठक के खास मुद्दे

  1. बीजेपी नेतृत्व में बदलाव: बैठक में जेपी नड्डा की जगह लेने वाले संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा हुई।
  2. चुनावी रणनीति: जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के आगामी चुनावों के लिए रणनीति तैयार की गई।
  3. महिला सुरक्षा: पश्चिम बंगाल की घटना के बाद महिला सुरक्षा के लिए 5 फ्रंट पर काम करने की योजना बनाई गई।
  4. धर्मांतरण और हिंदुत्व: झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के आदिवासी इलाकों में बढ़ते धर्मांतरण पर चर्चा हुई और हिंदुत्व की आवाज को और मजबूत करने पर जोर दिया गया।

संघ के 100 साल: शताब्दी वर्ष की तैयारियां

बैठक में संघ के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शताब्दी वर्ष (सितंबर 2025 से सितंबर 2026) की तैयारियों पर भी चर्चा की गई। शताब्दी वर्ष के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा पर मंथन किया गया।

इस बैठक के बाद संघ और बीजेपी के बीच समन्वय को और मजबूत करने के प्रयासों से आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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