हास्य के सितारे घनानंद ‘घन्ना भाई’ नहीं रहे

  • मुख्य बिंदु:

    • उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद गगोडिया उर्फ घन्ना भाई का निधन
  • 72 वर्ष की उम्र में देहरादून के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस
  • उत्तराखंड की कई सुपरहिट फिल्मों और नाटकों में किया यादगार अभिनय
  • सीएम पुष्कर सिंह धामी सहित कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया

उत्तराखंड के हंसी के बादशाह घन्ना भाई नहीं रहे

उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद गगोडिया उर्फ घन्ना भाई का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने देहरादून के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिनों से वह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन से उत्तराखंड फिल्म और रंगमंच जगत में शोक की लहर है

घनानंद गगोडिया का जन्म 1953 में पौड़ी गढ़वाल के गगोड़ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडाउन कैंट बोर्ड स्कूल से पूरी की


रामलीला से रेडियो और फिर सिनेमा तक का सफर

  • 1970 में रामलीलाओं और नाटकों में हास्य कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की
  • 1974 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में कई कार्यक्रमों में भाग लिया
  • उत्तराखंडी सिनेमा में “घरजवैं” फिल्म से मिली बड़ी पहचान
  • “चक्रचाल”, “बेटी-ब्वारी”, “जीतू बगडवाल”, “सतमंगल्या”, “ब्वारी हो त यनि”, “घन्ना भाई एमबीबीएस”, “घन्ना गिरगिट” और “यमराज” जैसी सुपरहिट फिल्मों में किया शानदार अभिनय

उनका हास्य अभिनय इतना प्रभावशाली था कि लोग हंसी से लोटपोट हो जाते थे। फिल्मों के अलावा उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के लिए भी कई यादगार कार्यक्रम किए


राजनीति में भी आजमाया हाथ

घनानंद ने 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर पौड़ी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। इसके बाद वह बीजेपी के स्टार प्रचारक के रूप में सक्रिय रहे।


सीएम धामी और प्रशंसकों ने जताया शोक

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:

“उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद ‘घन्ना भाई’ के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर, दिवंगत आत्मा को श्री चरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह असीम कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करें। आपकी सरलता, मृदुता और अद्वितीय अभिनय शैली ने लोगों को न केवल हंसाया, बल्कि जीवन को अलग दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा दी।”

उनकी मृत्यु से उत्तराखंड फिल्म और रंगमंच जगत में एक युग का अंत हो गया

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