हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य समारोह
देहरादून, 15 सितंबर 2025: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिंदी दिवस के अवसर पर देहरादून के आईआरडीटी सभागार में आयोजित ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान समारोह’ में साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया। इस समारोह में साहित्य, संस्कृति और भाषा के संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
सम्मानित साहित्यकार और पुरस्कार राशि
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा को मरणोपरांत ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान 2025’ से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त, सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को भी इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। प्रत्येक सम्मानित साहित्यकार के लिए 5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गई। यह सम्मान उत्तराखंड की साहित्यिक परंपरा को जीवंत रखने और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए साहित्यकारों के योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास है।
साहित्यकारों की भूमिका पर प्रकाश
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में साहित्य को समाज का दर्पण और हिंदी को आत्मा की अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज की संवेदनाओं को व्यक्त करने और उसे नई दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धामी ने स्वतंत्रता संग्राम में कवियों और लेखकों के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं ने समाज में जागरूकता और प्रेरणा का संचार किया।
उत्तराखंड की साहित्यिक विरासत
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, शैलेश मटियानी, गिर्दा, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा जैसे साहित्यकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इन रचनाकारों ने उत्तराखंड के जीवन, संस्कृति और संघर्ष को अपनी रचनाओं में जीवंत किया। समकालीन साहित्यकारों में अतुल शर्मा, प्रसून जोशी और सोमवारी लाल उनियाल जैसे नामों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये साहित्यकार इस परंपरा को और समृद्ध कर रहे हैं।
साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए सरकारी प्रयास
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के विकास के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ जैसे पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, नई पीढ़ी को रचनात्मक लेखन के लिए प्रेरित करने हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है।
साहित्य ग्राम और अन्य पहल
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि साहित्यकारों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जाएंगे, जो उत्तराखंड को साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही, पुस्तक प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए 25 लाख रुपये का विशेष बजट आवंटित किया गया है। पिछले दो वर्षों में 62 साहित्यकारों को उनकी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अनुदान प्रदान किया गया है।
युवा रचनाकारों को प्रोत्साहन
सीएम धामी ने बताया कि कक्षा 6 से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से 100 से अधिक युवा रचनाकारों को पुरस्कृत किया गया है। इसके अतिरिक्त, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में हिंदी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 176 मेधावी छात्र-छात्राओं को भी सम्मानित किया गया।
हिंदी और स्थानीय बोलियों का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को नई पहचान मिल रही है। उत्तराखंड सरकार भी इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रही है ताकि भावी पीढ़ियां अपनी भाषायी और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी रहें।
वैश्विक मंच पर हिंदी की पहचान
धामी ने विश्वास जताया कि साहित्यकारों की लेखनी हिंदी को विश्व की प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने सभी साहित्यकारों और कवियों से आह्वान किया कि वे अपनी रचनात्मकता से उत्तराखंड और भारत की साहित्यिक-सांस्कृतिक विरासत को और समृद्ध करें।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक जसविंदर कौर सहित कई गणमान्य अतिथि, शिक्षाविद्, साहित्यकार और संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।