जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए: उपराष्ट्रपति

देहरादून। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान-सीएसआईआर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों और छात्र-छात्राओं को संबोधित किया और परिसर में ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के अंतर्गत पौधारोपण भी किया। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी उपस्थित थे।

लोकतंत्र और राष्ट्रवाद के प्रति निष्ठा का आह्वान

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की भावना को चुनौती देने वाले लोग वही हैं, जो कभी सत्ता में थे या महत्वपूर्ण पदों पर थे। उन्होंने कहा, “कुछ लोग संकीर्ण पार्टीगत हितों के लिए देश विरोधी नैरेटिव्स फैला रहे हैं और हमारे महान लोकतंत्र की तुलना पड़ोसी देशों की प्रणालियों से कर रहे हैं।” उपराष्ट्रपति ने युवाओं को सचेत किया कि ऐसे लोग देश की अभूतपूर्व प्रगति को नजरअंदाज कर, उन्हें भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने भारत के स्थिर लोकतंत्र और पड़ोसी देशों की प्रणालियों के बीच की तुलना की आलोचना की और युवाओं से इन नकारात्मक नैरेटिव्स का विरोध करने और उन्हें बेअसर करने का आग्रह किया।

जलवायु न्याय पर जोर

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है, और इसलिए जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी प्राचीन भावना और सभ्यता की आत्मा को प्रतिबिंबित करते हुए स्थिरता को न केवल अपने घरेलू शासन में शामिल किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है।

स्थायी ऊर्जा और विकास के लिए प्रयास

उपराष्ट्रपति ने भारत द्वारा स्थापित वैश्विक बायोफ्यूल गठबंधन की सराहना की और इसे स्थायी ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने भारत के 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की चर्चा की और कहा कि इसमें बायोफ्यूल के उपयोग का महत्वपूर्ण विस्तार शामिल है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाया जाना सर्कुलर इकोनॉमी के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान दे रहा है।

अनुसंधान और नवाचार में युवाओं की भूमिका

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों पर अत्यधिक ध्यान देने के बजाय विभिन्न उपलब्ध अवसरों का पूरा लाभ उठाएं। उन्होंने आईएमएफ द्वारा भारत को निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य घोषित करने का उदाहरण दिया, और युवाओं से अद्भुत अवसरों को पहचानने का आह्वान किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि संस्थान द्वारा पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर, पवन, बायोमास, और हाइड्रोजन ऊर्जा पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से इन नवाचारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की।

कार्यक्रम के अंत में, संस्थान के निदेशक डॉ. एच. एस. बिष्ट ने संस्थान की उपलब्धियों और भावी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक और शोधार्थी भी उपस्थित रहे।

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