मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिक संगठन के आभार एवं संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लिया

  • सैनिक कल्याण की मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर पूर्व सैनिकों ने जताया आभार
  • वीरांगनाओं और मुख्यमंत्री ने एक-दूसरे को किया सम्मानित
  • मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों से ‘‘हर घर तिरंगा’’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियानों में सहयोग की अपील की
  • मसूरी में सैनिक विश्राम गृह बनाने की घोषणा की

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को देहरादून के गढ़ीकैंट स्थित दून सैनिक इंस्टीट्यूट में उत्तराखंड पूर्व सैनिक संगठन द्वारा आयोजित आभार एवं संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। इस मौके पर, मुख्यमंत्री द्वारा कारगिल विजय दिवस के अवसर पर की गई घोषणाओं के लिए पूर्व सैनिक संगठन के अधिकारियों, सैनिकों और वीरांगनाओं ने उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने शहीद सैनिकों की अनुग्रह अनुदान राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने, शहीद सैनिक के परिवारजनों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की अवधि को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल करने, और शहीदों के आश्रितों को समूह ‘ग’ और ‘घ’ के अलावा अन्य विभागों में भी नियुक्ति देने की घोषणा की थी। इसके साथ ही सैनिक कल्याण विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को उपनल कर्मियों की तरह अवकाश देने की घोषणा पर भी उनका आभार व्यक्त किया गया और सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि हमारे सैनिक हिमालय के प्रहरी और पर्यावरण के संरक्षक भी हैं। उन्होंने पूर्व सैनिकों से ‘हर घर तिरंगा’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियानों को सफल बनाने में सहयोग की अपील की और मसूरी में सैनिक विश्राम गृह बनाने की घोषणा की। कार्यक्रम में वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री को सम्मानित किया और मुख्यमंत्री ने वीरांगनाओं को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने युद्ध में शहीद होने वाले सेना और अर्धसैन्य बलों के जवानों के एक आश्रित को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी जा रही है। अब तक 17 सैनिक आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी गई है। उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है जहां वीरता पुरस्कार से अलंकृत सैनिकों को जीवन भर वार्षिक राशि का भुगतान किया जाता है। विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित सैनिकों की एकमुश्त राशि भी बढ़ाई गई है, और द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिकों और युद्ध विधवाओं को प्रतिमाह दी जाने वाली अनुदान राशि को 8,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी है। यहां के सैनिकों और सैन्य परिवारों के योगदान को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जल्द ही भव्य सैन्य धाम का लोकार्पण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा सेना का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया है, और वह विशेष अवसरों पर सेना के बीच जाकर उनके साथ समय बिताते हैं। वन रैंक वन पेंशन योजना से भी सैनिकों का मनोबल बढ़ा है, और हमें अपनी भारतीय सेना पर गर्व है, जिनके कारण हमारा देश सुरक्षित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बताया है, और हम राज्य को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों में उत्तराखंड को देश में प्रथम स्थान मिला है। इसे बनाए रखना हमारे लिए चुनौती भी है, और जिन सूचकांकों में राज्य को सुधार की आवश्यकता है, उनमें भी सुधार के प्रयास किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को दुःखद बताते हुए कहा कि ऐसे समय में हमारे देश के कई लोग जाति-पाति के बंधनों में उलझे हुए हैं, जबकि हमें सामूहिक रूप से इस विषय पर चिंतन करना चाहिए। उन्होंने पूर्व सैनिकों से राष्ट्र जागरण के कार्य में भी सहयोगी बनने का आह्वान किया।

इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार ने सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। द्वितीय विश्व युद्ध की अनुदान राशि, विशिष्ट सेना मेडल अवार्ड राशि में बढ़ोतरी और वीरता पदक पुरस्कार की एकमुश्त अनुदान राशि में कई गुना वृद्धि की गई है। इस अवसर पर जे.ओ.सी. एब एरिया मेजर जनरल प्रेम राज, निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर अमृत लाल, उपनल के अध्यक्ष ब्रिगेडियर जे.एस. बिष्ट और बड़ी संख्या में सेना और पूर्व सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक और वीरांगनाएँ उपस्थित थीं।

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