देवभूमि के सच्चे ब्रांड एम्बेसडर: मुख्यमंत्री धामी ने प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का किया उद्घाटन, “विकास भी, विरासत भी” के संकल्प पर जोर

रजत जयंती वर्ष में प्रवासियों का संगम, आपदा पीड़ितों को श्रद्धांजलि

उत्तराखंड के राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत बुधवार को देहरादून के दून विश्वविद्यालय में “प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन” का भव्य आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया, जो देश-विदेश से आए प्रवासी उत्तराखंडियों को मातृभूमि से जोड़ने और उनके अनुभवों को राज्य विकास की मुख्यधारा में शामिल करने का महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आई प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाने वालों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में एक मिनट का मौन रखा गया, जो सम्मेलन की भावुकता को और गहरा बनाया। यह आयोजन न केवल प्रवासियों की भावनाओं का पुलव था, बल्कि राज्य सरकार की “विकसित भारत, विकसित उत्तराखंड” की दृष्टि को साकार करने का प्रयास भी था। सम्मेलन में पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और निवेश जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ, जिसमें प्रवासियों ने राज्य के भविष्य के लिए सशक्त सुझाव दिए।

मुख्यमंत्री का संबोधन: प्रवासी हैं देवभूमि के सच्चे राजदूत, संस्कृति की सुगंध फैला रहे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में प्रवासी उत्तराखंडियों को “देवभूमि के सच्चे ब्रांड एम्बेसडर” करार दिया। उन्होंने कहा कि ये प्रवासी जहां भी रहते हैं, वहां उत्तराखंड की विशिष्ट लोक संस्कृति, भाषा, बोली और मिट्टी की मिठास को जीवंत रखते हैं। “प्रवासी उत्तराखंडी देवभूमि की संस्कृति, परंपराओं और मातृभूमि के गौरव को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं। वे हमारी वैश्विक पहचान हैं और राज्य विकास के मजबूत स्तंभ।” धामी ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रवासी उत्तराखंड परिषद का गठन किया है, ताकि प्रवासियों के सुझाव और अनुभव सीधे नीति निर्माण में शामिल हो सकें। उन्होंने प्रवासियों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि कई प्रवासी अपने पैतृक गांवों को गोद लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। “यह सम्मेलन प्रवासियों को मातृभूमि से जोड़ने और उनकी सहभागिता बढ़ाने का माध्यम है। उनके अनुभव हमारी नीतियों को जनकेंद्रित बनाते हैं।”

राज्य की प्रगति का खाका: नीतिगत सफलताओं और आर्थिक उछाल पर प्रकाश

मुख्यमंत्री ने राज्य की हालिया उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड “विकास भी, विरासत भी” के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति का उल्लेख किया:

  • शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल, पेयजल और हवाई कनेक्टिविटी: उल्लेखनीय सुधार, जिसमें हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापना और 18 हेलीपोर्ट्स का विकास शामिल।
  • नई योजनाएं: “एक जनपद दो उत्पाद”, “हाउस ऑफ हिमालयाज”, “स्टेट मिलेट मिशन”, “नई पर्यटन नीति”, “वेड इन उत्तराखंड” और “सौर स्वरोजगार योजना” से स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई गति।
  • राष्ट्रीय मानक: नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) में देश में प्रथम स्थान, “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” में “एचीवर्स” और “स्टार्टअप रैंकिंग” में “लीडर्स” श्रेणी।

धामी ने भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” नीति का जिक्र किया, जिसके तहत पिछले चार वर्षों में 200 से अधिक भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई हुई। साथ ही, देश के सबसे सख्त नकल-विरोधी कानून से 26 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां मिलीं। उन्होंने स्वर्ण जयंती वर्ष तक का विजन साझा किया: “हर युवा को सम्मानजनक रोजगार, पलायन रुकना और प्रवासियों की गौरवपूर्ण वापसी।” प्रवासियों से अपील की कि वे राज्य के विकास अभियान में सक्रिय भागीदार बनें।

प्रमुख वक्ताओं के विचार: संस्कृति, परिश्रम और योगदान पर जोर

सम्मेलन में कई प्रमुख हस्तियों ने अपने विचार रखे, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और विकास को मजबूत करने पर केंद्रित रहे:

  • भगत सिंह कोश्यारी (पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल): “देवभूमि का रहस्य ईमानदारी और परिश्रम में निहित है। उत्तराखंडी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा से चमकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का राज्य से विशेष लगाव है। प्रवासी हमेशा जड़ों से जुड़े रहेंगे।”
  • विनोद चमोली (विधायक): “उत्तराखंड की हस्तियां देशभर में पहचान बना रही हैं। प्रवासियों से अपील: अपनी दक्षता से राज्य विकास में योगदान दें। सरकार पूरा समर्थन देगी।”
  • मोहन सिंह बिष्ट (दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष): “उत्तराखंड हमारी आत्मा और संस्कृति की धरोहर है। मिट्टी की खुशबू, बोली की मिठास हृदय में गूंजती है। धामी के नेतृत्व में राज्य प्रगति की राह पर है।”
  • हिमानी शिवपुरी (फिल्म अभिनेत्री): “मैंने रुद्रप्रयाग के पैतृक गांव को गोद लिया। उत्तराखंड सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, परंपराओं को संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य।”
  • सुधांश पंत (राजस्थान मुख्य सचिव): “यह सम्मेलन मिट्टी की महक और अपनत्व का उत्सव है। पहाड़ की हवा में मां की ममता बसती है। हम संस्कृति से जुड़े रहकर राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।”
  • आनंद बर्द्धन (उत्तराखंड मुख्य सचिव): “राज्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, जैविक कृषि, औद्योगिक विकास और हरित ऊर्जा में प्रगति कर रहा। 38वें राष्ट्रीय खेलों से ‘खेल भूमि’ की पहचान बनी। जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में तेज वृद्धि।”

सुझाव और चर्चा: निवेश, पर्यटन और टेक्सटाइल हब पर फोकस

सम्मेलन के दो सत्रों में जल, जमीन, जंगल, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हुई। प्रवासियों ने राज्य विकास के लिए सुझाव दिए:

  • पूर्णेश गुरूरानी (कपड़ा मंत्रालय निदेशक): “उत्तराखंड में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग सेंटर स्थापित हो। हिमालय फाइबर के विकास से टेक्सटाइल पार्क बनें, केंद्र सरकार का सहयोग लें।”
  • अन्य सुझाव: पर्यटन, स्टार्टअप, उद्यमिता और रोजगार अवसरों पर जोर। प्रवासियों ने निवेश, गांव गोद लेने और युवाओं को कौशल विकास में योगदान की प्रतिबद्धता जताई।

मुख्यमंत्री ने रात्रि भोज में अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया, जहां भावुक संवाद हुए। “आप हमारी शक्ति हैं, वैश्विक पहचान हैं।”

उपस्थितजन और समापन: एकजुटता का संदेश

कार्यक्रम में विधायक किशोर उपाध्याय, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, सचिवगण और 250 से अधिक प्रवासी शामिल हुए। समापन में सभी ने संकल्प लिया कि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेंगे। यह सम्मेलन प्रवासियों को राज्य से जोड़ने का सफल प्रयास साबित हुआ।

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