‘आपदा सखी’ योजना से महिला स्वयंसेवकों को मिलेगा प्रशिक्षण
- आधुनिक तकनीकों के माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर जोर
- एनडीएमए ने आपदा प्रबंधन हेतु 200 करोड़ से अधिक राशि की दी स्वीकृति
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आपदा प्रबंधन पर अहम चर्चा
देहरादून
शनिवार को देहरादून स्थित एक होटल में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित आपदा प्रबंधन कार्यशाला में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाग लेते हुए राज्य में महिला सशक्तिकरण और आपदा तैयारियों को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
‘आपदा सखी योजना’ का ऐलान: महिला शक्ति को मिलेगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने ‘आपदा मित्र योजना’ की तर्ज पर ‘आपदा सखी योजना’ शुरू किए जाने की घोषणा की। इस योजना के तहत महिला स्वयंसेवकों को आपदा पूर्व चेतावनी, प्राथमिक चिकित्सा, राहत-बचाव कार्य, मनोवैज्ञानिक सहायता जैसे विषयों पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
“यह योजना न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि समाज की आपदा प्रबंधन में सक्रिय भागीदारी को भी मजबूत बनाएगी।” — मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखण्ड की संवेदनशीलता और रणनीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भूकंप, बादल फटना, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील राज्य है। उन्होंने बीते वर्षों की घटनाओं को उदाहरण बनाते हुए कहा:
- गौरीकुंड (2024) में बादल फटने की घटना में प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाकर हजारों लोगों की जान बचाई गई
- तोली गांव (टिहरी) में भू-स्खलन से पहले प्रशासन की तत्परता से 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित किया गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वानुमान आधारित रणनीति, सतर्कता, और समन्वित कार्यवाही ही जन-धन की हानि को रोक सकती है।
तकनीकी उपाय और संस्थागत समन्वय पर जोर
राज्य सरकार द्वारा कई तकनीकी उपाय अपनाए जा रहे हैं:
- ड्रोन सर्विलांस, जीआईएस मैपिंग, सैटेलाइट मॉनिटरिंग
- रैपिड रिस्पॉन्स टीमों का गठन
- स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ बेहतर समन्वय
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू के दौरान उन्होंने स्वयं टनल में फंसे मजदूरों से संवाद किया, जिससे उनका मनोबल बढ़ा।
आपदा प्रबंधन में जनसहभागिता की भूमिका
मुख्यमंत्री ने बल दिया कि:
“आपदा प्रबंधन में केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, जब तक समाज स्वयं प्रशिक्षित और जागरूक न हो।”
इस दिशा में उन्होंने ग्राम स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियां, युवा एवं महिला समूहों, रेडक्रॉस व स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी पर ज़ोर दिया।
मौसम पूर्वानुमान और एनडीएमए की भूमिका
कार्यशाला में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने बताया कि:
- मौसम विभाग ने 15 जून से सितंबर तक अत्यधिक बारिश का अनुमान दिया है
- एनडीएमए ने:
- भूस्खलन प्रबंधन हेतु ₹140 करोड़
- 190 संवेदनशील झीलों के लिए ₹40 करोड़
- फॉरेस्ट फायर योजना हेतु ₹16 करोड़ की सहायता स्वीकृत की है
उन्होंने चारधाम यात्रा के सफल संचालन की भी प्रशंसा की।
मुख्य सचिव और विशेषज्ञों की भागीदारी
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि कार्यशाला मानसून पूर्व तैयारियों को मजबूती देगी।
प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और विशेषज्ञ इस कार्यशाला में उपस्थित थे।
विचार-विमर्श के प्रमुख विषय:
- मौसम पूर्वानुमान और बाढ़ चेतावनी प्रणाली
- ईडब्ल्यूएस निगरानी और प्रसार
- भूस्खलन पूर्व चेतावनी और भू-तकनीकी जांच
- मानसून से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम
- मार्गों पर भूस्खलन से बचाव की बेस्ट प्रैक्टिसेज
- संसाधनों और ऑपरेशनल तैयारियों का समन्वय
यह कार्यशाला उत्तराखण्ड में समग्र और समावेशी आपदा प्रबंधन रणनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। ‘आपदा सखी योजना’ महिलाओं की सहभागिता को सशक्त करेगी, जबकि तकनीकी और सामुदायिक उपाय राज्य को आपदाओं के प्रति और अधिक तैयार और सतर्क बनाएंगे।