भाद्रपद सोमवती अमावस्या: महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

सोमवती अमावस्या का महत्व

आज भाद्रपद माह की सोमवती अमावस्या है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह दिन भगवान शिव की आराधना, दान-पुण्य और पितृ दोष से मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। सोमवती अमावस्या, जब अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ती है, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से घर में सुख-समृद्धि आती है और साधक को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शुभ मुहूर्त

इस साल भाद्रपद सोमवती अमावस्या 2 सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। पंडितों के अनुसार, शिव योग सुबह से शाम 6:20 बजे तक रहेगा, और उसके बाद सिद्ध योग शुरू होगा, जो रात भर चलेगा। ये दोनों योग अत्यंत शुभ माने जाते हैं और इस दौरान किए गए मांगलिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

पूजा विधि

सोमवती अमावस्या के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें। गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अगर गंगा तक जाना संभव नहीं हो तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करें। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है, जिससे व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पौराणिक कथा

सोमवती अमावस्या से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, जिसकी पुत्री सुन्दर और संस्कारवान थी, लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक साधु ने उसे बताया कि उसकी शादी तभी संभव होगी जब वह सोना नामक एक धोबिन की सेवा करे, और सोना अपने मांग का सिन्दूर उसकी मांग में लगाए। कन्या ने ऐसा ही किया और सोना धोबिन ने अपनी मांग का सिन्दूर उसकी मांग में लगाया। इसके बाद, जब सोना पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा और भंवरी देकर जल ग्रहण कर रही थी, तो उसके पति के मृत शरीर में जीवन का संचार हो गया। इस प्रकार, सोमवती अमावस्या का दिन अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

तर्पण और दान

सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों के आत्मा की शांति के लिए तर्पण अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है और साधक को विभिन्न दोषों से मुक्ति मिलती है।

पीपल की पूजा

सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। परिक्रमा के दौरान रक्षासूत्र बांधना और भंवरी देना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।

भाद्रपद सोमवती अमावस्या पर किए गए ये धार्मिक अनुष्ठान और पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि, पितृ दोष से मुक्ति, और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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