सर्जरी से परे – ‘फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स’ पुस्तक चर्चा

देहरादून में पुस्तक पर परिचर्चा आयोजित

देहरादून में संजय ऑर्थोपेडिक, स्पाइन और मैटरनिटी सेंटर द्वारा दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में “फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स” पुस्तक पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भाग लिया और पुस्तक के विषयों पर अपने विचार साझा किए।


कार्यक्रम का उद्घाटन और प्रमुख अतिथि

कार्यक्रम का उद्घाटन सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अनिल रतूड़ी, वैली ऑफ वर्ड्स के संस्थापक डॉ. संजीव चोपड़ा, सेवानिवृत्त जनरल ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जे. एस. नेगी, वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह, सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश टंडन, पुस्तक के लेखक पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय और सह-लेखक डॉ. गौरव संजय ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत शॉल, स्मृति चिन्ह और पौधा भेंट कर किया गया। रिटायर्ड आईएएस एन. रविशंकर ने लेखकों को इस प्रयास के लिए बधाई दी और उपस्थित लोगों से इस पुस्तकालय के अधिकतम उपयोग का आग्रह किया।


पुस्तक का उद्देश्य और विषयवस्तु

लेखक पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि स्वास्थ्य, शिक्षा और भोजन किसी भी व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, जिनके प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। यह पुस्तक न केवल चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता से जुड़े मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है।

सह-लेखक डॉ. गौरव संजय ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक सामान्य नागरिकों, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों और छात्रों के लिए एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में कार्य करेगी।


प्रमुख अतिथियों के विचार

शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व पर जोर

मुख्य अतिथि अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि डॉक्टर और माता-पिता को भगवान की तरह जीवन बचाने की शक्ति प्राप्त होती है। उन्होंने इस पुस्तक को समाज और राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया और कहा कि शब्दों की शक्ति किसी भी पेशे की सीमाओं से परे होती है

न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने कहा कि लेखक और सह-लेखक जनमानस को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य, पर्यावरण और शिक्षा जैसे विषयों पर समाज की जिम्मेदारियों को रेखांकित किया।

तकनीकी प्रगति और युवा पीढ़ी

प्रो. ओंकार सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि वे बच्चों को तकनीक का सही उपयोग सिखाएं और उन्हें पूरी तरह से तकनीकी साधनों पर निर्भर होने से बचाएं।

लेफ्टिनेंट जनरल जे. एस. नेगी ने कहा कि यह पुस्तक स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, जनसंख्या वृद्धि और सड़क सुरक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों को कवर करती है। उन्होंने युवा पीढ़ी को सही दिशा में मार्गदर्शन देने की आवश्यकता पर जोर दिया और यातायात नियमों के पालन को समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

साहित्य और समाज पर प्रभाव

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. संजीव चोपड़ा ने कहा कि यह पुस्तक विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को समाहित करने वाली एक बहुमूल्य रचना है। उन्होंने इस पुस्तक को समाज के लिए प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि जितनी अधिक भाषाएँ हम जानते हैं, उतना ही बेहतर हम दुनिया को समझ सकते हैं

डॉ. अरुण कुमार मंडल ने लेखक और सह-लेखक के प्रयासों की सराहना की और कहा कि डॉक्टर होने के बावजूद उन्होंने अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर इस सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण पुस्तक को लिखा


कार्यक्रम का समापन और आभार प्रदर्शन

कार्यक्रम के अंत में डॉ. गौरव संजय ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन सिमरन सूरी ने किया।

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