अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में एशिया की भागीदारी
देहरादून के हिमाद्री आइस रिंक में आयोजित प्रतियोगिता में एशिया के 11 देशों से 200 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
- 9 विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन हुआ।
- थाईलैंड ने चैंपियनशिप ट्रॉफी जीती।
- भारतीय खिलाड़ियों ने 4 स्वर्ण पदक सहित कई पदक हासिल किए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजेताओं को बधाई दी और खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन के लिए विशेष रूप से मंच पर मौजूद रहे।
भारत में शीतकालीन खेलों का नया युग
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन भारत में शीतकालीन खेलों के नए युग की शुरुआत है।
- उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलो इंडिया और फिट इंडिया मूवमेंट के माध्यम से देश की खेल संस्कृति को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
- हाल ही में हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने 103 पदक जीतकर पहली बार 7वां स्थान हासिल किया।
उत्तराखंड को खेलभूमि बनाने की दिशा में कदम
- राज्य सरकार ने 517 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक स्टेडियम और 100 करोड़ रुपये की लागत से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल उपकरण उपलब्ध कराए हैं।
- 14 साल बाद पुनः इस ओलंपिक स्टैंडर्ड आइस रिंक पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित हुई।
- सरकार जल्द ही स्पोर्ट्स लीगेसी प्लान लागू करेगी, जिसके तहत 8 शहरों में 23 खेल अकादमियां स्थापित होंगी।
नई खेल नीतियाँ और खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन
- राज्य में पहला खेल विश्वविद्यालय और महिला स्पोर्ट्स कॉलेज खोलने की तैयारी।
- नई खेल नीति के अंतर्गत राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं को आउट ऑफ टर्न सरकारी नौकरी दी जा रही है।
- योजनाएँ जैसे:
- मुख्यमंत्री खेल विकास निधि
- मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना
- मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी योजना
- खेल किट योजना
- खिलाड़ियों के लिए 4% खेल कोटा भी पुनः लागू किया गया।
उपस्थितगण
इस अवसर पर विशेष सचिव अमित सिन्हा, आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अमिताभ शर्मा, एशियन स्केटिंग यूनियन, उत्तराखंड आइस स्केटिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी, प्रशिक्षक, खिलाड़ी और बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।
देहरादून में आयोजित यह अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय बनी। मुख्यमंत्री धामी ने इसे खेल संस्कृति और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत की बढ़ती पहचान की मिसाल बताया और कहा कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड को “खेलभूमि” के रूप में स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे।