साढ़े तीन दशक पुरानी मांग पर भूख हड़ताल, राज्य जयंती के जश्न के बीच विकास का सवाल
रुद्रप्रयाग जिले के पूर्वी और पश्चिमी बांगर क्षेत्र में सड़क निर्माण की लंबित मांग को लेकर ग्रामीणों का धैर्य अब अंतिम सीमा पर पहुंच गया है। बधाणी ताल से भुनाल गांव भेडारू तक प्रस्तावित 9 किलोमीटर मोटर मार्ग के लिए 35 वर्षों से चली आ रही लड़ाई ने नया मोड़ लिया है। 3 नवंबर 2025 से लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) कार्यालय में शुरू हुए अनिश्चितकालीन आमरण अनशन ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया है। तीन बुजुर्ग ग्रामीण भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं, जबकि सैकड़ों ग्रामीण उनका समर्थन कर रहे हैं। एक ओर जहां राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर सरकारी स्तर पर धूमधाम से उत्सव मनाए जा रहे हैं, वहीं इस दुर्गम क्षेत्र के लोग बुनियादी सड़क सुविधा के अभाव में आज भी पालकी पर मरीज ढोने को मजबूर हैं। यह आंदोलन न केवल सड़क की मांग तक सीमित है, बल्कि पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और आर्थिक पिछड़ेपन के व्यापक मुद्दों का प्रतीक बन गया है। बधाणी छेनागाड़ मोटर मार्ग निर्माण संघर्ष समिति के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन ने सरकार पर वादाखिलाफी का गंभीर आरोप लगाया है, और यदि मांग पूरी न हुई तो आत्मदाह तक की धमकी दी गई है।
क्षेत्र की दुर्दशा: 84 किमी का घुमावदार सफर, प्रसूति महिलाओं की पालकी यात्रा
जखोली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले पूर्वी और पश्चिमी बांगर क्षेत्र पहाड़ी भूगोल की मार झेल रहे हैं, जहां सड़क का अभाव जीवन को कष्टमय बना रहा है। वर्तमान में पूर्वी बांगर (जैसे छेनागाड़) से पश्चिमी बांगर (जैसे भुनाल भेडारू) तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को मयाली-पांजणा-बसुकेदार-छेनागाड़ या मयाली-तिलवाड़ा-अगस्त्यमुनि-गुप्तकाशी-छेनागाड़ जैसे लंबे और घुमावदार रास्तों का सहारा लेना पड़ता है। ये रास्ते कुल मिलाकर 84 किलोमीटर लंबे हैं, जिसमें पूरा दिन लग जाता है। इस दौरान व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाती हैं, आपातकालीन सेवाएं प्रभावित होती हैं और ग्रामीणों का समय-धन दोनों बर्बाद होता है।
प्रस्तावित 9 किमी मोटर मार्ग बनने पर यह दूरी महज कुछ घंटों में तय हो जाएगी, जिससे पश्चिमी बांगर की 16 ग्राम पंचायतें और पूर्वी बांगर की 6 ग्राम पंचायतें सीधे लाभान्वित होंगी। क्षेत्र की अनुमानित 15-20 हजार आबादी को न केवल स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं तक आसान पहुंच मिलेगी, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। लेकिन साढ़े तीन दशकों से यह मांग ठंडे बस्ते में पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि राज्य निर्माण से एक दशक पहले यानी 1991 से ही आंदोलन चल रहा है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रसूति महिलाओं और बीमारों को पालकी पर ढोना आज भी आम बात है, जो क्षेत्र की उपेक्षा का जीता-जागता प्रमाण है।
आंदोलन का इतिहास: 1991 से संघर्ष, बार-बार आश्वासन लेकिन कोई काम नहीं
बधाणी छेनागाड़ मोटर मार्ग निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहा यह आंदोलन ग्रामीणों की लंबी हताशा का प्रतीक है। समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य ने बताया कि सड़क की मांग 1991 से ही उठ रही है, जब ग्रामीणों ने पहली बार आंदोलन शुरू किया था। हर बार प्रशासन ने लिखित आश्वासन दिए, लेकिन काम की शुरुआत तक नहीं हुई। “हम ठगे गए हैं, लेकिन अब पीछे नहीं हटेंगे। यदि शासन ने मांग नहीं मानी, तो आत्मदाह तक का रास्ता अपनाएंगे,” उन्होंने कहा। अन्य आंदोलनकारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सड़क के अभाव में युवा रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं, जबकि स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी सेवाएं राजनीतिक उपेक्षा की भेंट चढ़ रही हैं।
आमरण अनशन पर डटे तीनों बुजुर्ग—शिव लाल आर्य, केदार सिंह रावत और गैणू लाल—की उम्र 80 वर्ष के करीब है। इनकी स्वास्थ्य स्थिति चिंताजनक है; अनशन के कारण शुगर लेवल बढ़ गया है। ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल ने कहा, “ये बुजुर्ग अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार सोई हुई है।” धरना स्थल पर सैकड़ों ग्रामीण डटे हुए हैं, जिनमें प्रमुख नवीन सेमवाल, चिंरजीवी सेमवाल, आलोक नेगी, विजय बैरवाण, प्रधान बक्सीर गीता देवी, मुकेश बैरवाण, योगंबर बैरवाण, सौरभ भट्ट, सुरेंद्र नेगी, चंद्र प्रताप, रविंद्र सिंह, राजबर बैरवाण, सज्जन सिंह आदि शामिल हैं।
प्रशासन का रवैया: सहायक अभियंता पर ग्रामीणों का गुस्सा, वन भूमि की जटिलताएं
3 नवंबर को लोनिवि कार्यालय पहुंचे सहायक अभियंता संजय सैनी को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों के मौके पर न पहुंचने पर नाराजगी जताई और कहा कि गरीबों के पास अधिकारियों के चक्कर लगाने के लिए पैसे नहीं हैं। जब सैनी ने सड़क निर्माण के लिए प्रभागीय वन अधिकारी से मिलने की सलाह दी, तो ग्रामीण भड़क गए। “एक ओर हम भूख हड़ताल पर हैं, दूसरी ओर हमें वन विभाग के चक्कर लगाने को कहा जा रहा है,” उन्होंने चेतावनी दी।
सहायक अभियंता संजय सैनी ने स्पष्ट किया कि बधाणी ताल से भुनाल भेडारू तक 9 किमी मोटर मार्ग का प्रस्ताव 2021 से विधिवत चल रहा है। मार्ग के 8 किमी वन भूमि और 1 किमी सिविल भूमि पर है, जहां 1271 पेड़ (बांज, बुरांश आदि) काटने पड़ेंगे। एनजीटी और वन विभाग के नियमों के तहत कटिंग वाले क्षेत्रफल जितनी जमीन पर नए पेड़ लगाने होंगे, लेकिन चार बार के निरीक्षण (वन, राजस्व और लोनिवि विभागों द्वारा) के बावजूद वैकल्पिक जमीन नहीं मिल पाई। “इस देरी के कारण काम रुका हुआ है,” उन्होंने कहा। ग्रामीणों ने इसे बहाना बताते हुए तत्काल स्वीकृति की मांग की।
समर्थन का दौर: सामाजिक संगठनों और विपक्ष का साथ, एकजुटता की अपील
आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों का मजबूत समर्थन मिल रहा है। भरदार जागरूकता मंच के अध्यक्ष एलपी डिमरी ने अनशन स्थल पर पहुंचकर कहा, “यह मांग न केवल जायज है, बल्कि तीन दशकों से लंबित विकास का सवाल है। राजनेता, संगठन और जनप्रतिनिधि दलगत राजनीति छोड़कर एकजुट हों। यह बांगर क्षेत्र की अस्मिता का संघर्ष है—एक मंच, एक आवाज, एक लक्ष्य।” मंच के महासचिव भगत चौहान और कांग्रेस वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र बुटोला ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा, “यह लड़ाई सिर्फ 9 किमी सड़क की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सम्मान और विकास की है। लोकतांत्रिक ढंग से डटकर खड़े रहें, सत्ता हर हथकंडा अपनाएगी लेकिन हम अडिग रहेंगे।”
यह आंदोलन क्षेत्रीय एकता का प्रतीक बन गया है, जहां महिलाएं और युवा भी सक्रिय हैं। पूर्व में 2021 में भी इसी मांग पर पैदल यात्राएं और घेराव हुए थे, लेकिन अबकी बार बुजुर्गों का आमरण अनशन इसे और गंभीर बना रहा है।
प्रभाव और आगे की राह: पलायन रुके, पर्यटन फले, लेकिन सरकार की चुप्पी चिंता का विषय
इस सड़क के निर्माण से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देकर हजारों रोजगार सृजित होंगे। क्षेत्र में पलायन रोकना, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना और ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना संभव होगा। लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई उच्च स्तरीय प्रतिक्रिया न आने से ग्रामीण निराश हैं। ज्येष्ठ प्रमुखों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई न हुई, तो आंदोलन और तीव्र होगा। यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी विकास की उपेक्षा को उजागर करती है, जहां राज्य जयंती के जश्न के बीच ग्रामीणों का संघर्ष जारी है।